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पापमोचनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

By April 2, 2024 Blog, Blogs

हर एकादशी का हिन्दू धर्म अपना एक विशेष महत्व और नाम होता है। विष्णु भगवान को न सिर्फ गुरुवार का दिन बल्कि एकादशी तिथि भी समर्पित है। एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति विष्णु जी की विधिवत पूजा अर्चना करता है और व्रत रखता है तो उस व्यक्ति पर आ रहे संकट से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इसी वर्ष चैत्र माह में पड़ने वाली पहली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी कड़ी में चैत्र माह में पड़ने वाली पहली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा, जो सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, लेकिन जो लोग इस मुहूर्त में पूजा न कर पाएं वह अभिजित मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं। यह सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

पापमोचनी एकादशी महत्व

इस व्रत को जो भी व्यक्ति रखता है, उसको सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं पापमोचनी दो शब्दों से मिलकर बना है पाप और मोचनी।

इसका अर्थ है पाप समाप्त करने वाला। इसलिए इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के हर मोड़ पर सफलता हासिल होती है।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि

  • पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  • भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं। इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
  • भगवान विष्णु को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें।
  • अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें।

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