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आमलकी एकादशी की शुभ मुहूर्त, व्रत पारण, महत्व और आंवला पूजा का विशेष महत्व

By March 19, 2024 Blog, Blogs

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती काशी गए थे। इसलिए इस एकादशी को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन श्री हरि के संग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-व्रत करने का विधान है।

मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस साल रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च 2024 बुधवार के दिन रखा जायेगा।

आमलकी एकादशी की शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 20 मार्च 2024 बुधवार की रात 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारम्भ होगी और

अगले दिन 21 मार्च 2024 गुरुवार की रात 02 बजकर 22 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ऐसे में रंगभरी / आमलकी एकादशी व्रत 20 मार्च को रखा जायेगा।

आमलकी एकादशी का व्रत पारण

21 मार्च 2024 को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से शाम 04 बजकर 07 मिनट तक।

आमलकी एकादशी पर आंवला पूजा का विशेष महत्व

आमलकी एकादशी का व्रत रखने से सैकड़ों तीर्थ करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कई यज्ञों को करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आमलकी एकादशी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है।

आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए आंवले के पेड़ का पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के दुख-दर्द और पापों से मुक्ति मिल जाती है।इसके अलावा इस दिन आंवला खाना काफी शुभ माना जाता है।

आमलकी एकादशी पूजा विधि

रंगभरी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान शिव और माता पार्वती के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।

अब विधिपूर्वक भगवान शिव का जलाभिषेक करें और मां पार्वती जी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें।शिवलिंग पर गुलाल, चंदन और बेलपत्र समेत विशेष चीजें अर्पित करें।

इसके पश्चात उनकी आरती करें और रंगभरी एकादशी कथा का पाठ करें। अब भोग लगाएं और सुख-शांति की प्रार्थना करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

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