हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, 3 सितंबर को पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और 17 सितंबर को अमावस्या दिवस पर पितृ पक्ष समाप्त होंगे। इसके बाद, 18 सितंबर से शुरू होगा अधिक मास जो की 16 अक्टूबर तक रहेगा। ‘आदिक मास’ को ‘माल मास’ या ‘ढोंढिचा माहिना’ के नाम से भी जाना जाता है।अन्य महीनों के बीच अधिक मास की स्थिति परिवर्तनशील है, यह प्रत्येक 32.5 महीनों के बाद आता है। एक भक्त के लिए, अधिक मास का अर्थ है जो राज्य चंद्र कैलेंडर को मानते है, वहां मंदिर समारोहों में कुछ बदलाव होना।
आइये जानते है ज्योतिष्याचार्य राममेहर शर्मा जी से की अधिक मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं:-
• इस महीने के दौरान, श्री पुरुषोत्तम कृष्ण की पूजा करें और उनके नाम का जाप करें।
• दिन में एक बार भोजन करें। भोजन करते समय बात न करें क्योंकि इससे आंतरिक शक्ति बढ़ती है।
• इस महीने में कम से कम एक बार गंगा नदी में पवित्र स्नान करने से सभी पापों को खत्म करने में मदद मिलती है।
• दीप दान करें। यदि मुमकिन हो तो ईश्वर के समक्ष हर समय एक दीपक जलाये, ऐसे करने से वित्तीय लाभ मिलता है।
• पूरे महीने में पान का पत्ता दान करने से आपका भाग्य बेहतर हो सकता है।
• ज्वर-शान्ति, पर्जन्येष्टि आदि जैसे सामान्य कार्य भी किए जाने चाहिए।
• इस महीने में भगवान की मूर्ति की फिर से स्थापना की जा सकती है।
• संस्कार जैसे ग्रहण-श्राद्ध, जात-कर्मा, नाम-कर्मा, अन्नप्राशन आदि भी किए जाने चाहिए।
• काम्य-कर्म’ की शुरुआत और समाप्ति से बचना चाहिए।
• महादान, अपूर्व देवा-दर्शन, गृहारम्भा, वास्तु-शांति, सन्यास-ग्रहण, शादियां, जनेऊ संस्कार, चौल आदि करने से बचना चाहिए।
• यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु अधिक मास में होती है, तो पहला श्राद्ध अधिक मास में ही किया जाना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए या किसी विशेष पूजा के लिए आप ज्योतिष्याचार्य राममेहर शर्मा जी से संपर्क कर सकते है।