fbpx
was successfully added to your cart.

Cart

निर्जला एकादशी

By June 21, 2021 Blog, Blogs
Astrologer Near Delhi

निर्जला एकादशी व्रत को सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना गया है।  इस एकादशी व्रत को भीमसेन ने भी रखा था।  इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।  इस दिन भक्त निर्जला व्रत रखते है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते है।  मान्यता है कि जो मनुष्य यह व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यश, वैभव और सुख की प्राप्ति होती है. वहीं, इस व्रत के प्रभाव से अनजाने में किए गए पाप कट जाते हैं।

निर्जला एकादशी पूजा विधि

  • प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद पूजा स्थान को साफ कर लें
  • हाथ में जल लेकर निर्जला एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।
  • एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें।
  • इसके बाद उनको जल से अभिषेक करें। फिर चंदन, रोली से तिलक करें।
  • पीले फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई, तुलसी दल, पीले वस्त्र आदि भगवान विष्णु को अर्पित करें। भगवान को पंचामृत अवश्य अर्पित करें।
  • इसके बाद पानी से भरा हुआ एक कलश, एक बेना (बांस का पंखा), एक फल और कुछ रुपये श्री हरि के चरणों मे रख दें, जिसे पारण के पूर्व किसी ब्राह्मण को दान करना होगा।
  • पूजा के समय विष्णु चालीसा और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
  • निर्जला एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करें। मान्यता है कि इस व्रत के दौरान निर्जला एकादशी व्रत की कथा जरूर सुनना चाहिए।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
  • दिनभर भगवत जागरण करते हुए अगले दिन प्रात: काल में फिर पूजा करके ब्राह्मणों को अन्न आदि दान करें। फिर पारण करके व्रत को पूरा करें।

दिनवतिथि

21 जून दिन सोमवार को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है।  ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि दोपहर 01 बजकर 31 मिनट के उपरांत द्वादशी तिथि हो जाएगी।  शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान की कृपा से भक्त के सभी पाप मिट जाते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है। 

Leave a Reply