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मोक्षदा एकादशी

By December 14, 2021 Blog
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हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की 11वीं तिथि को एकादशी कहते है एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की। सनातन धर्म में एकादशी व्रत बहुत ही पवित्र, शांतिदायक और पापनाशक माना गया है। सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी का व्रत  श्रेष्ठ और कल्याणकारी है। इस व्रत का पालन करने से शुभ फलों में वृद्धि होकर अशुभता का नाश होता है।
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है.

हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. और इस जन्म में सभी पापों का नाश होता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से नीच योनि में गए पितरों को मुक्ति मिलती है। सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य पुण्यफल देने का सामर्थ्य है। भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत के प्रभाव से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

सभी एकादशियों पुण्यफल देने का सामर्थ्य है। मोक्षदा एकादशी व्रत समस्त पापों का हरण करने वाली है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को मोक्षदा एकादशी का महत्व समझाते हुए कहा है कि बड़ी-बड़ी दक्षिणा वाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं मिलता,जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मुझे प्रसन्नता मिलती है। इस एकादशी के माहात्म्य को पढ़ने और सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को करने से प्राणी के जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस दिन नारायण कवच या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही अच्छा  होता है ये सभी अपने भक्तों की कामनाओं की पूर्ति कर उन्हें विष्णुलोक यानि वैकुंठ पहुँचाती हैं।

मोक्षदा एकादशी व्रत विधि –

मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि के बाद घर और पूजा के स्थान की सफाई करें। घर के मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अर्पित करें। भगवान को रोली और अक्षत का तिलक लगाकर भोगसवरूप फल आदि अर्पित करें। इसके बाद नियमानुसार भगवान की पूजा अर्चन कर उपवास आरंभ करें।  विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर के घी के दीपक से भगवान की आरती उतारें।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत के प्रभाव से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रतियों के सभी पापों का नाश होता है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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