ब्रह्म मुहूर्त का समय और महत्व हिन्दू धर्म में शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त के समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में ब्रह्म का अर्थ है ‘ज्ञान’ और मुहूर्त का अर्थ है ‘समय या अवधि’। ग्रंथों में ब्रहम मुहूर्त को विशिष्ट कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ करार दिया गया है। ब्रह्म मुहूर्त रात्रि का चौथा प्रहर होता है। हमारी घड़ी के अनुसार प्रातः 4.२४ से ५. १२ का समय ब्रह्म मुहूर्त है। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। प्राचीन काल में लोग और ऋषि मुनि सदैव ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईश्वर का वंदन किया करते थे। ब्रह्म मुहूर्त न केवल शास्त्रों की दृष्टि से बल्कि आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी इस समय को बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है।
धार्मिक महत्त्व
पुराणों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में जागने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और आयु में वृद्धि होती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठना और शुभ कार्य करना आपको लाभान्वित कर सकता है मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार और पूजन भी इसी समय में किए जाने का विधान है। इस समय की निद्रा ब्रह्म मुहूर्त के पुण्यों का नाश करने वाली होती है। इस समय सोना निषिद्ध है। आज भी घरों में भी बड़े बुजुर्ग लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर ईश्वर का नाम जपने बैठने जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में उठने को कहते हैं। प्राचीन काल में ब्रह्म मुहूर्त में गुरुओं द्वारा अपने शिष्यों को वेदों एवं शास्त्रों का अध्ययन करवाया जाता था। संसार के प्रसिद्ध साधक , बड़े-बड़े विद्वान और दीर्घजीवी मनुष्य सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ही दैनिक कार्यों की शुरुआत करते थे। ऋग्वेद में कहा गया हैं कि जो मनुष्य सुबह उठता हैं, उसकी आयु लंबी होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में तम एवं रजो गुण की मात्रा बहुत कम होती हैं तथा इस समय सत्वगुण का प्रभाव अधिक होता हैं इसलिए इस काल में बुरे मानसिक विचार भी सात्विक और शांत हो जाते हैं।
वैज्ञानिक कारण
ब्रह्ममुहूर्त का वैज्ञानिक महत्त्व है। प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त के समय हमारा वायुमंडल काफी हद तक साफ़ होता है। इस समय दिन के मुकाबले वातावरण में हमारी प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा भी अधिक होती है। इस समय में बहने वाली वायु वीर वायु कहलाती हैं। चन्द्रमा से प्राप्त अमृत कणों से युक्त होने के कारण हमारे स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य होती है। म प्रातः सोकर उठते हैं तो यही अमृतमयी वायु हमारे शरीर को स्पर्श करती हैं। इसके स्पर्श से हमारे शरीर में तेज, बल शक्ति, स्फूर्ति एवं मेधा का संचार होता है जिससे मन प्रसन्न व शांत होता है। इस समय भ्रमण करने से शरीर में शक्ति का संचार होता है और शरीर कांतियुक्त हो जाता है। हइसके विपरीत देर रात तक जागने से और देर सुबह सोने से हमें यह लाभकारी वायु प्राप्त नहीं हो पाती जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है। सुबह-सुबह की शुद्ध वायु हमारे तन-मन को स्फूर्ति और ऊर्जा से भर देती है। यही वजह है कि इस समय किए गए व्यायाम, योग व प्राणायाम शरीर को निरोगी रखते हैं। इसके अलावा पक्षियों की चहचाहट से सुबह का माहौल खुशनुमा हो जाता है जिससे हमारा तन-मन प्रफुल्लित हो जाता है।