पूरे वर्ष में २४ एकादशी आती है। लेकिन जिस साल अधिक मास आता है या पुरषोतम मास आता है उस वर्ष दो एकादशी अधिक हो जाती है, इस प्रकार कुल २६ एकादशी आती है। पूरे वर्ष की एकादशी प्रत्येक मास में दो बार आती है। जो की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है।
हमारे धर्म ग्रंथो और पुराणों में लिखा है की एकादशी का व्रत करने से मनुष्य का जन्म के पाप, दोष नष्ट हो जाते है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही अपरा या अचला एकादशी कहते है। अपरा एकादशी आपार धन सम्पदा को प्रदान करने वाली है। अपरा एकादशी करने से ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में अपरा एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से वही पुण्य प्राप्त होता है जो पुण्य गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से, कुंभ में गंगा स्नान से, केदारनाथ या बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से मिलता है, अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से मिलता है। अपरा एकादशी व्रत कथा सुनते ही वैकुण्ड से अपार सुख,सफलता,धन,वैभव, चल,अचल संपत्ति मुरादे पूरी हो जाती है।
हम मनुष्यों से पूरे जीवन काल में दिन रात सहस्त्र पाप होते है। अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी इस पाप से मुक्त हो जाते हैं। यह व्रत पाप काटने के लिए आसान उपाए है। अतः प्रत्येक मनुष्य को इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान का पूजन करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णु लोक को जाता है।
अपरा एकादशी व्रत की पूजा विधि
अपरा एकादशी का व्रत दशमी के दिन ही प्रारंभ हो जाता है। अचला एकादशी के दिन व्रत रखने वाले को सुबह सुबह स्नान करके पीले वस्त्र पहनकर, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीले आसन पर बिठाकर पूजा करनी चाहिए। इस दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगाजल, फूल, अक्षत चढ़ाकर, धूप, दीप, अगरबत्ती दिखाकर सच्चे मन से से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और अपरा एकादशी व्रत कथा सुननी चाहिए। भगवान विष्णु को रोली व हल्दी का तिलक लगाएं और नैवेद्य चढ़ाएं। दिनभर फलाहारी व्रत रखें। शाम को भगवान विष्णु की आरती करें। पूजा के उपरांत यथाशक्ति दान पुण्य करें। अपरा एकादशी में रात्रि को जागरण करें। अपरा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन विधि विधान से संपूर्ण करें।
इस वर्ष अपरा एकादशी व्रत मुहूर्त
• ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि का प्रारंभ: 25 मई 2022 दिन बुधवार को सुबह 10:32 से
• ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी का समापन: 26 मई 2022 गुरुवार सुबह 10:54 पर
• अपरा /अचला एकादशी व्रत का प्रारंभ: 26 मई 2022 दिन गुरुवार को
• अपरा एकादशी व्रत का पारण: 27 मई दिन शुक्रवार प्रातः काल 5:30 से 8:05 तक