रामचरितमानस तथा हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई भगवान शिव द्वारा रचित शाबर मंत्र है। जिनके पाठ करने से जातक की सभी समस्याओं का समाधान रामचरितमानस तथा हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई भगवान शिव द्वारा रचित शाबर मंत्र है। जिनके पाठ करने से जातक की सभी समस्याओं का समाधान होता है। कुछ लोग रट्टा मारकर इसे पढ़ते है यदि अर्थ समझकर इसे दिल से पढ़ा जाय तो इसकी एक-एक चौपाई जीवन के हर क्षेत्र मे सफलता देने वाली है।
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
अर्थ -गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे। हनुमान चालीसा की इस चौपाई के पाठ से गुरुकृपा होती है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
अर्थ -अर्थ -हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से बल बुद्धि और निरोगी काया प्राप्त होती है।
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
अर्थ -श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति हनुमान चालीसा की इस चौपाई से हनुमत कृपा मिलती है।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
अर्थ -हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से शारीरिक और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है ।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
अर्थ -हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से बुरी संगत से छुटकारा और अच्छे लोगो का साथ मिलता है।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
अर्थ -हे महावीर बजरंग बली! आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से आर्थिक समृद्धि अच्छा खानपान, संस्कार और पहनावा प्राप्त होता है।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
अर्थ -हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है। हनुमान चालीसा की यह चौपाई विजय दिलाती है।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
अर्थ – हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से प्रताप बढ़ता है।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
अर्थ -हे हनुमान जी महाराज ! आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से ज्ञान, बुद्धि और त्वरित बुद्धि प्राप्त होती है।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
अर्थ -आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है। हनुमान चालीसा की यह चौपाई रामकृपा और यश दिलाती है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
अर्थ -आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया। हनुमान चालीसा की यह चौपाई महान संकट में चमत्कारिक कृपा दिलाती है।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
अर्थ -आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से भयानक संकट या शत्रुपक्ष से घिरने पर मदद मिलती है।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
अर्थ -आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से शारीरिक व्याधि निवारण मे मदद मिलती है।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
अर्थ -श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से वरिष्ठ लोगों की कृपा प्राप्त होती है।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
अर्थ -श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।हनुमान चालीसा की इस चौपाई से यश और मान सम्मान मिलता है।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
अर्थ -श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से सभी ओर प्रसिद्धि और कीर्ति बढ़ती है।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
अर्थ -यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से यश कीर्ति की वृद्धि होती है, मान सम्मान मिलता है।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
अर्थ -आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने। हनुमान चालीसा की यह चौपाई राजकीय मान सम्मान दिलाती है।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
अर्थ -आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है। हनुमतकृपा का विश्वास सभी ओर सफलता का सूचक है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
अर्थ -जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से सूर्यकृपा मिलती है, विद्या, ज्ञान और प्रतिष्ठा मिलती है।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
अर्थ -आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है। हनुमान चालीसा की यह चौपाई जातक को महान से महान संकट से मुक्ति दिलाती है।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
अर्थ -संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
अर्थ -श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।हनुमान चालीसा की इस चौपाई से प्रभु कृपा प्राप्त होती है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
अर्थ -जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।हनुमान चालीसा की इस चौपाई से जातक निर्भयता तथा सभी सुख प्राप्त करता है।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
अर्थ -आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से जातक को अनंत कीर्ति प्राप्त होती है।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
अर्थ -जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।हनुमान चालीसा की इस चौपाई से बुरी आत्मा, भूतप्रेत दूर भागते हैं।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
अर्थ -वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से सभी कष्टों का नाश होता है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
अर्थ -हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई का स्मरण जातक को सभी बंधनों से मुक्त करता है।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
अर्थ -तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ राजकीय कार्यों मे सफलता मिलती है।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
अर्थ -जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती। हनुमान चालीसा की यह चौपाई सभी मनोरथ सिद्ध करने वाली है।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
अर्थ -चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ जातक की हर ओर कीर्ति मे वृद्धि करती है।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अर्थ -हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है हनुमान चालीसा की इस चौपाई से दुष्टों का नाश होता है।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
अर्थ -आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। हनुमान चालीसा की यह चौपाई माता सीता के आशीर्वाद से मनोरथ पूर्ण करती है। ।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
अर्थ -आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई से मूल रहस्यों की प्राप्ति होती है।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अर्थ -आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है। हनुमान चालीसा की यह चौपाई हनुमत कृपा से सभी दुखों का नाश करती है।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥
अर्थ -अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे। हनुमान चालीसा की यह चौपाई आपका बुढ़ापा और परलोक दोनो सुधारती है।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
अर्थ -हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती। अन्य किसी देव की आराधना करने की आवश्यकता नही होती है।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अर्थ -हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ सभी प्रकार के कष्ट हरने मे समर्थ है।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
अर्थ -हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए। हनुमानजी गुरु स्वरूप मे आपकी मदद करते है।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
अर्थ -जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
अर्थ -हनुमान चालीसा की इस चौपाई को जो पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता और शिव पार्वती की प्राप्त होगी।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
अर्थ -हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास करते है। हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ निरंतर प्रभु कृपा दिलाती है।
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
अर्थ -हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिये। हनुमान चालीसा की यह चौपाई जीवन मे मंगलदायक और संकटों को हरती है।