फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस व्रत का उल्लेख पद्म और स्कंद पुराण में मिलता है। नाम के अनुसार ही इस एकादशी का व्रत करने वाला विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी सदा विजयी रहता है।
प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इस व्रत को करके हार को भी जीत में बदल चुके हैं। कहा जाता है कि भगवन श्रीराम ने भी इस व्रत को किया था और रावण पर विजय पायी थी। जब व्यक्ति शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से विकट से परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित की जा सकती है।
इतना ही नहीं विजया एकादशी के महात्म्य के सुनने और पढ़ने मात्र से ही व्यक्ति के समस्त पापों का विनाश हो जाता है। साथ ही आत्मबल बढ़ जाता है। विजया एकादशी व्रत करने वाले साधक के जीवन में शुभ कर्मों में वृद्धि, मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और कष्टों का नाश होता है। जो भी साधक इस एकादशी का व्रत विधिविधान और सच्चे मन से करता है, भगवान विष्णु की उसपर कृपा बन जाती है।
विजया एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं?
1. संभव हो सके तो निराहार व्रत करें।
2. यदि नहीं रह सकते तो फलाहार कर सकते हैं और जल पी सकते हैं।
3. इस एकादशी के व्रत को बालक, वृद्ध और रोगी न करें।
4. एकादशी में चावल वर्जित होता है अतः चावल न बनाएं और न हीं खाएं।
5. इस दिन किसी से भी झूठ न बोलें और हिंसा न करें।
6. अपने मन, वचन और कर्म से किसी को परेशान न करें।
7. एकादशी व्रत के समय किसी भी तरह का नशा न करें।
8. व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
9. किसी भी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करवाएं।
व्रत विधि
1. इस दिन सब कर्मो से निवृत हो कर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनकी धूम, दीप, पुष्प, चंदन, फूल, तुलसी आदि से आराधना करें।
2. भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है इसलिए इस दिन तुलसी को आवश्यक रूप से पूजन में शामिल करें।
3. भगवान की व्रत कथा पढ़े और रात्रि में हरिभजन करे। रात्रि जागकरण का पुण्य फल आपको जरूर ही प्राप्त होगा।
4. व्रत करने से एक दिन पहले ब्रम्हचर्य का पालन करते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
5. भगवन विष्णु से आपके दुखों का नाश करने की प्रार्थना करें। इससे व्यक्ति कठिन कार्यों एवं हालातों में विजय प्राप्त करता है।
विजया एकादशी तिथि
इस बार 16 फरवरी 2023 को विजया एकादशी का व्रत रखा जायेगा। इस बार इस तिथि पर गुरुवार का संयोग भी बन रहा है । गुरुवार और एकादशी दोनों श्रीहरि की पूजा के लिए उत्तम है। अतः इस दिन केले, पीले वस्त्र, पीली मिठाई से विष्णु जी की पूजा करें।