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एकादशी, हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है। रमा एकादशी कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है। रमा एकादशी रोशनी के त्योहार दिवाली के उत्सव से चार दिन पहले आती है। इस एकादशी को ‘रम्भा एकादशी’ या ‘कार्तिक कृष्ण एकादशी’ भी कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। भक्त अपने परिवारों और प्रियजनों की भलाई और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
महत्व
‘रामा’ देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम है। इसलिए इस शुभ दिन पर, भक्त भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं ताकि समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। यह भी माना जाता है कि रमा एकादशी का व्रत रखना हमारे द्वारा जाने या अनजाने में किए गए पापों के लिए एक प्रतीकात्मक तपस्या है।
‘ब्रह्म-वैवर्त पुराण’ जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह माना जाता है कि जो कोई भी पवित्र रमा एकादशी का व्रत करता है, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, यहां तक कि वे भी जो एक ब्राह्मण को मारने के लिए समान हैं। जो व्यक्ति रमा एकादशी की महिमा को सुनेगा वह मोक्ष प्राप्त करेगा और श्री हरि विष्णु के परमधाम को प्राप्त होगा। यह भी माना जाता है कि रमा एकादशी का पालन करने का फल 100 राजसूय यज्ञ या 1000 अश्वमेध यज्ञ करने से भी अधिक है। रमा एकादशी के दिन भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति अपने जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और अपार सफलता प्राप्त करने में सक्षम होता है। यह एक लोकप्रिय धारणा है कि भक्त इस दिन उपवास करके अपने पापों को धो सकते हैं।
पूजा विधि
रमा एकादशी के दिन उपवास एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान एकादशी से एक दिन पहले ‘दशमी’ से शुरू होता है। इस दिन भी भक्त कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं और सूर्यास्त से पहले केवल एक बार सात्विक भोजन करते हैं। एकादशी के दिन ये कुछ भी नहीं खाते हैं। उपवास का पारण या अनुष्ठान का अंत ‘द्वादशी’ तिथि को होता है। व्रत न करने वालों के लिए भी किसी एकादशी पर चावल और अनाज का सेवन सख्त वर्जित है।
इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए । भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों को एक स्वच्छ आसान पर रखना चाहिए । देवताओं को प्रसाद, फूल, अगरबत्ती, धूप फल, और नैवेद्य चढ़ाना चाइये । फिर कथा करके आरती करनी चाहिए। और फिर परिवार के सदस्यों के बीच ‘प्रसाद’ वितरित करना चाहिए ।
रमा एकादशी २०२२ तिथि और समय
इस साल २०२२ में रमा एकादशी 21 अक्टूबर शुक्रवार को है।
एकादशी तिथि का समय: 20 अक्टूबर, शाम 4:05 बजे – 21 अक्टूबर, शाम 5:23 बजे
हरि वासरा समाप्ति क्षण 21 अक्टूबर, 2022 11:33 अपराह्न
पारण का समय 22 अक्टूबर, सुबह 6:30 बजे – 22 अक्टूबर, सुबह 8:47 बजे