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भगवद गीता जयंती

By December 2, 2022 Blog

हिन्दू धर्म में गीता को सर्वमान्य धर्मग्रंथ माना गया है। हिंदू धर्म में तमाम ग्रंथों और पुराणों में से श्रीमद्भागवद् गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। बाकि सभी ग्रंथों को मनुष्य द्वारा रचा गया है, जबकि गीता के बोल साक्षात नारायण के अवतार श्रीकृष्ण भगवान के मुख से निकले हैं. इसलिए इसे महाग्रंथ का दर्जा दिया जाता है। महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने जिस दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उसे गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। इस साल गीता की 5159वीं वर्षगांठ शनिवार, 03 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी।
गीता जयंती के दिन गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है और गीता के अनमोल ज्ञान को जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है। गीता में श्लोक के माध्यम से जीवन के हर पहलू की शिक्षा है या कहे कि श्लोक के माध्यम से जीवन जीने की कला सीखाई गई है। भगवन श्रीकृष्ण की वाणी से निकली गीता लोगों को अच्छे-बुरे कर्मों का फर्क समझाती है।
शुक्ल एकादशी के दिन विधिपूर्वक पूजन व उपवास करने पर हर तरह के मोह से मोक्ष मिलता है. यही वजह है कि इसका नाम मोक्षदा एकादशी भी रखा गया है।
गीता जयंती मानाने का मूल उद्देश्य यही है कि गीता के संदेश का हम अपनी ज़िंदगी में उतारे और आगे बढ़ें। गीता हमें धैर्य, दुख, लोभ व अज्ञानता से बाहर निकालने की प्रेरणा देती है। गीता को सिर्फ एक ग्रंथ नहीं मन जा सकता है, बल्कि वह अपने आप में एक संपूर्ण जीवन की सच्चाई है। यह मनुष्य को पुरुषार्थ व कर्तव्य के पालन की शिक्षा देती है।
पूजन विधि
गीता जयंती के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत होकर भगवान श्रीविष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प ले। इसके पश्चात, गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर ॐ गंगे हर हर गंगे का मंत्रोउच्चारण कर आचमन करें। भगवान विष्णु की पूजा पीले फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा आदि चीजों से करें। इसदिन गीता पाठ जरूर करें और अंत में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें।
आप सभी को गीता जयंती की शुभकामनाएं!

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