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पापमोचनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम

By March 16, 2023 astrologer, Blog

पापमोचनी एकादशी

किसी भी व्रत या उपवास का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्त्व होता है। हमारे व्रत का मूल उद्देश्य शरीर को स्वस्थ और आध्यात्मिक रूप से मन और आत्मा को नियंत्रित रखना है। विशेष तिथियों या दिनों को व्रत उपवास रखने से शरीर और मन शुद्ध होता है और साथ ही सभी मनचाही इच्छाएं भी पूरी होती हैं।

पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी का महत्व व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एकादशी का व्रत होता है। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन को सिथरता मिलती है और साथ ही धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। पापमोचनी एकादशी साल की आखिरी एकादशी मानी जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न कर पिछले पापों से छुटकारा पा सकते हैं। पापमोचिनी एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्या दूर हो जाती है।

पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त

ये व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. यह होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आता है। पापमोचनी में दो शब्द हैं ‘पाप’ और ‘मोचनी’ जिसका अर्थ क्रमशः ‘पाप’ और ‘हटाने वाला’ है इस बार पापमोचनी एकादशी का व्रत शनिवार, 18 मार्च को रखा जाएगा.

पापमोचिनी एकादशी तिथि 17 मार्च 2023, शुक्रवार के दिन दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 18 मार्च 2023, शनिवार के दिन सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर पापमोचनी एकादशी तिथि का समापन होगा।

उदयातिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। इस व्रत का पारण 19 मार्च को होगा। पारण का समय 19 मार्च को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट पर होगा।

पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम

ये व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल और फलाहारी या जलीय व्रत, निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए। अन्य लोग फलाहारी या जलीय उपवास रख सकते है। एकादशी व्रत का विधान एक दिन पहले दशमी से शुरू किया जाता है। इस व्रत में दशमी को सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। एकादशी की सुबह नदी या सरोवर में पवित्र स्नान करना चाहिए।

एकादशी को सुबह श्रीहरि का पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को फूल, चंदन का लेप, अगरबत्ती और भोग (पवित्र भोज) चढ़ाना चाहिए । इसके बाद श्रीमद्भगवदगीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें। उसके बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए।

पापमोचनी एकादशी पर अगर रात्रि जागरण करके श्रीहरि की उपासना की जाए तो हर पाप का प्रायश्चित हो सकता है। संध्याकाळ निर्धनों को अन्न का दान करें। इस प्रकार व्रत पूर्ण करके दूसरे दिन पारण करें

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