आज के युग में शायद ही कोई माता पिता हों या शायद ही कोई विद्यार्थी ,जो परीक्षाओं में अंकों को लेकर परेशान न होते हों .कोई बच्चे की बेहतर खुराक की और ध्यान देता है तो कोई कोचिंग क्लासेस को अधिक महत्त्व देता है।कई बार देखने में आता है की जो छात्र साल भर बेहतरीन विद्यार्थियों में गिनती होते रहे वो वार्षिक परीक्षाओं में चूक गए ,या मनमाफिक परिणाम हासिल नहीं कर पाए,वहीँ दूसरी और जो साल भर औसत छात्रों में गिनती होते रहे वो बाजी मारने में कामयाब रहे। कभी सोचा है इस का कारण ?देखते हैं की ज्योतिष भला इस बारे में क्या कहता है?
सामान्यतः हम जानते ही हैं की गुरु को शिक्षा का स्थाई कारक व पंचमेश को टेम्पररी कारक माना जाता है।पंचम भाव में बैठे व प्रभावित करने वाले ग्रह भी इस में अपना रोल निभाते हैं।कई बार ऐसा होता है और स्वयं आप में से भी कई सज्जनों ने इस बात को परखा होगा की रात दिन जाग जाग कर पढने के बाद भी परीक्षा में वही सवाल आये जिन्हें आप नजरंदाज कर गए थे।वहीँ कई बार मात्र मॉडल पेपर या प्रश्न कुंजी पढ़ कर जाने वाले छात्रों के हाथ वो ही सवाल लगे जो उन्होंने रटे हुए थे।मजा आ जाता है न?अचानक जो जीरो था उसे हीरो समझा जाने लगता है।माँ अपने लाल को देख कर मंद मंद मुस्कुराती है,पिता मोहल्ले वालों व ऑफिस वालों के साथ मजाक करने ,बोलने बतियाने लगते हैं। पड़ोस की लड़की का आपको देखने का तरीका थोडा बदल सा जाता है।आप भी अब कभी कभी बिन मांगी सलाह औरों को देने लगते हैं।ये सब अधिक अंक आने का प्रताप होता है भैय्या अगली दफा जब फेल होने की नौबत आ जाती है या शहीद होते होते बचते हो तो फिर से सब कुछ बदल जाता है।पिता जी की टुर्र -फूर्र फिर से शुरू हो जाती है ,माँ गाहे- बगाहे धोती के कोने से आँखें पोंछने लगती हैं।पडोसी लड़की अब आपको देख कर छत पर नहीं आती।दोस्तों के बाप उन्हें तुम से दूर रहने की सलाहें देने लगते हें,व जो कभी तुम से टिप्स लेने में नहीं चूकते थे वे अब कुछ कहते ही हड्काने लगते हैं।
जिस छात्र ने परीक्षा देनी है पहले उसकी कुंडली का अवलोकन किया जाय। जिस दिन परीक्षा होनी है उस दिन जातक का पंचमेश किस अवस्था में है ये देखा जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।साथ ही उस दिन या कहूँ परीक्षा शुरू होने के समय कौन सा लग्न पड़ रहा है ये देखा जाना चाहिए।अब देखने वाली बात यह है की परीक्षा के दिन का पंचमेश जातक के वास्तविक पंचमेश का मित्र है या शत्रु? साथ ही दोनों पंचमेश (उस दिन का और जन्म का )किस भाव में विराजमान हैं।उनका आपस में कैसा सम्बन्ध हो रहा है?उन पर किन किन ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है?वक्री हैं या मार्गी ,कहीं अस्त तो नहीं हो रहे। समझने में थोडा दिक्कत हो रही है, इसे क्रम में लिखकर बताता हूँ। यदि दोनों (दोनों का अर्थ हर बार परीक्षा शुरू होने के समय काल का पंचमेश व जन्म का पंचमेश पढें )आपस में मित्र हैं तो बहुत संभव है की आपको आपकी मेहनत के हिसाब से अंक प्राप्त हो जायेंगे। यदि दोनों कहीं केंद्र या त्रिकोण में हैं तो आपका ग्राफ कहीं ऊपर जा सकता है। यदि लग्न का पंचमेश मजबूत स्थिति में है किन्तु समय काल का पंचमेश कमजोर पड़ रहा है तो हो सकता है किसी परीक्षा के दौरान आपको पैन रुक जाने या अचानक तबियत ख़राब हो जाने ,या किसी अन्य प्रकार की परेशानी से दो चार होना पड़ सकता है।रिसल्ट पर थोडा बहुत प्रभाव अवश्य पड़ता है।
यदि दोनों पंच्मेशों से किसी प्रकार भाग्येश का सम्बन्ध हो जाता है तो बहुत संभव है की आपकी परीक्षा भी बहुत अच्छी हो व आपकी कापी भी निरीक्षण के लिए किसी ऐसे अध्यापक के पास जाए जो अंक देने के मामले में खुला हाथ रखता हो। यदि दोनों पंचमेश आपस में शत्रुता रखते हों तो आप के सामने प्रश्नपत्र पर कुछ ऐसे सवाल हो सकते है जिन्हें आप गलती से मिस कर गए हैं. यदि जन्म लग्नेश जन्म कुंडली में ही कमजोर अवस्था में हो किन्तु उस विशेष दिन स्वयं पंचमेश बन कर अपने भाव में ही हो या कहीं से दृष्टि डाल रहा हो तो आप पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद उस ख़ास दिन अपने रटे हुए जवाबों के बल पर आशा से अधिक चमत्कार दिखाने में कामयाब हो सकते हैं।
मैं कहीं से भी इस बात का विरोध नहीं कर रहा की किसी छात्र को मेहनत नहीं करनी चाहिए। अपितु साधारण भाषा में लिखे इस लेख का वास्तविक मंतव्य उन मेघावी छात्रों को दिलासा देना है जो अपनी कमर तोड़ मेहनत से भी मन माफिक अंक नहीं प्राप्त कर पाते।कोई बात नहीं,हिम्मत न हारो दोस्तों .हो सकता है की इस बार बदकिस्मती से योग आपके विपरीत चला गया हो किन्तु अगली दफा आप अपने मुकाम पर अवश्य होंगे।मैं खासकर उन बच्चों की बात कर रहा हूँ जो इंजीनियरिंग,मेडिकल आदि कठिन विषयों की पढाई के बीच में ही हिम्मत हार कर कोई गलत कदम उठा लेते हैं।आप यदि काबिल न होते तो इन विषयों की कठिन एंट्रेंस को भी तो पास नहीं कर पाते।आपका यहाँ होना ही आपके काबिल होने की गारंटी है।अततः किसी एक समस्टर के खराब होने मात्र से आपकी काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग जाता . वहीँ दूसरी ओर उन नौजवानों को भी सन्देश देना चाहता हूँ जो सफल होने के लिए सदा शोर्टकट की तालाश में रहते हैं .मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।तुक्का एक बार ही चलता है भैय्या .हर बार योग आपके अनुकूल नहीं होने वाला।
अब उपाय क्या हो? सबसे सरल उपाय है ग्रहों के देव सूर्य देव की उपासना करना।और सूर्यदेव की उपासना का अर्थ है प्रातः सुबह उठ कर उगते हुए सूर्य की रौशनी के सानिध्य में पढ़ना .उगते सूर्य के नित्य दर्शन कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष को काटने का सामर्थ्य रखते हैं।बुजुर्ग तभी तो सुबह पाठ कंठस्त करने को कहते थे। साल भर जितना अध्ययन प्रातः करोगे वो परीक्षाओं में उतना लाभ देगा!!!
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