सूर्य देव जिस समय मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो उस समय सूर्य की कर्क संक्रांति कहलाती है। सूर्य देव अभी मिथुन राशि में हैं, इसके बाद वे कर्क राशि में गोचर करेंगे।
कर्क संक्रांति से सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं. सूर्य के दक्षिणायन होने से दिन छोटे होने लगेंगे। इस साल सूर्य देव श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, उस दिन कर्क संक्रांति होगी। कर्क संक्रांति के महापुण्य काल में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
कर्क संक्रांति तिथि और समय
कर्क संक्रांति सावन में कृष्ण चतुर्दशी तिथि 16 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। इसके पश्चात 17 जुलाई 2023, सोमवार को सूर्य सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेंगे।
कर्क संक्रांति पुण्य काल समय
कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 को है। कर्क संक्रांति पुण्य काल समय 16 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 21 मिनट पर यह समाप्त होगा।
इस प्रकार से दक्षिणायन की कुल समय अवधि 6 घंटे 54 मिनट की होगी। कर्क संक्रांति पुण्य काल में सूर्य को जल दें व् पूजा करें।
कर्क संक्रांति 2023 में महापुण्य काल समय
कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 के दिन महापुण्य काल शाम को 05 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 07 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा।
कर्क संक्रांति 2023 का महत्व
‘संक्रांति‘, जिसे ‘कर्क संक्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है, बारिश के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। देवताओं की रात्रि शुरू होती है और ‘चौमासा’ या ‘चतुर्मास’ भी शुरू होता है। यह अवधि व्यवहार के दृष्टिकोण से बेहद संयमित है, क्योंकि तामसिक प्रवृत्ति अपने सबसे सक्रिय रूप में होती है।
इसके अतिरिक्त, एक व्यक्ति के दिल में गलत दिशा में अधिक चलने की प्रवृत्ति होती है। एक व्यक्ति इसलिए एक शुद्ध अस्तित्व जीने के लिए तैयार है यदि वह संयम का पालन करता है और अपने विचारों में शुद्धता को शामिल करता है।