एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस व्रत को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
एकादशी का व्रत हर महीने आता है लेकिन मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी खास होती है। उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त 2023
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 08 दिसंबर 2023को सुबह 05 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ होगी और 09 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि में उत्पन्ना एकादशी व्रत 08 दिसंबर को रखा जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य उत्पन्ना एकादशी को उपवास करता है। वह वैकुण्ठधाम में जहां साक्षात गरुणध्वज विराजमान हैं, वहाँ जाता हैं। जो मनुष्य एकादशी माहात्म्य का पाठ करता हैं,उसे सहस्त्र गोदानों के पुण्य का फल प्राप्त होता हैं।
इस व्रत को करने से धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक फल की प्राप्ति होइ हैं।
उत्पन्ना एकादशी की पूजाविधि
इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करने का विधान है। इस दिन ब्रह्रा मुहूर्त समय में भगवान का पुष्प, धूप, दीप, चन्दन,अक्षत, फल, तुलसी आदि से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलाहार का ही भोग लगाया जाता है।’
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप एवं इस दिन विष्णु सहस्त्र्नाम का पाठ करना अति उत्तम रहता हैं। संध्या के समय देवालय में दीपदान करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती है। श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए रात्रि में भजन-कीर्तन आदि करें।