fbpx
was successfully added to your cart.

Cart

मां तारा की पूजा माघ गुप्त नवरात्रि दूसरे दिन

By January 23, 2023 astrologer

मां तारा की पूजा माघ गुप्त नवरात्रि दूसरे दिन

माघ मास में पढ़ने वाली गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा की पूजा करने का नियम है. मां तारा जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों आकर्षण और संकटों से छुटकारा दिलाती हैं. मां तारा की साधना पूर्ण रूप से अघोरी साधना होती है. माँ तारा की साधना करने से मनुष्य को लौकिक सुख के साथ साथ शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है. देवी तारा अपने सभी भक्तो और उपासकों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. इसके अलावा मां तारा धन से जुडी समस्याओं को भी दूर करती हैं, साथ ही वो मुक्ति प्रदान करने वाली देवी हैं. बौद्ध धर्म में भी मां तारा की उपासना को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध ने भी मां तारा की आराधना की थी और साथ ही भगवान श्रीराम के गुरु वशिष्ठ ने भी पूर्णता को प्राप्त करने के लिए मां तारा की उपासना की थी.

माँ तारा की पूजा का महत्व –

शास्त्रों में बताया गया है की भगवान शिव और महापण्डित रावण भी माँ तारा की उपासना की थी. मान्यताओं के अनुसार जिसका उद्धार भगवान शिव भी नहीं कर पाते है मां तारा उनका भी उद्धार करती हैं.जिस जगह पर भगवान आनंद भैरव ने गुरु वशिष्ठ जी को मां तारा के उपदेश प्रदान किये थे वो जगह आज के समय में भी तारा पीठ के नाम से मशहूर है. मां तारा की साधना एक विशेष प्रकार से की जाती है जिसमें कोई विशेष नियम नहीं होता है, परन्तु अगर कोई मनुष्य पूरी श्रद्धा के साथ माँ तारा की पूजा करता है तो वो भक्त की पुकार ज़रूर सुनती हैं. माँ तारा की साधना करने से धन सम्बन्धी सभी समस्याए दूर हो जाती हैं. और साथ ही दिव्य सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं.

माँ तारा मंत्र

नील कांच की माला से 12 माला का जाप करे।

ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्

मां तारा की पूजा विधि –

• मां तारा की पूजा हमेश रात्रि के समय ही की जाती है. इसलिए अगर आप मां तारा की पूजा कर रहे हैं तो इसे हमेशा अर्धरात्रि में ही करें.

• माँ तारा की पूजा हमेशा एकांत कक्ष में ही करें जहाँ आपके अलावा और कोई उपस्थित न हो.

• माँ तारा की पूजा करने से पहले स्नान करें. इसके पश्चात् एक सफेद रंग की धोती धारण करें.

• मां तारा की पूजा में कभी भी सिले हुए वस्त्र नहीं पहनने चाहिए .

• अब पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ.

• अब अपने समक्ष एक चौकी रखे और उस पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध लें.

• अब चौकी पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाएं. अब एक प्लेट में गुलाब के फूल रखें.

• अब चौकी पर तारा यंत्र की स्थापना करें. अब इस यंत्र के चारो तरफ चावल की चार ढेरियां रखें.

• चावल की चारो ढेरियों पर एक- एक लौंग रखें. इसके पश्चात् तारा यंत्र के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें.

• दीपक जलाने के पश्चात् विधिवत मां तारा के मंत्रों का जाप करें. मंत्र जाप करने के पश्चात् श्रद्धा पूर्वक मां तारा की कथा सुने.

• माँ तारा की कथा सुनने के बाद मां तारा की आरती उतारे.

• पूजा करने के पश्चात् पूजा में इस्तेमाल की गयी सभी सामग्री को किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें या इन चीजों को पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में गहरा गड्डा खोदकर दबा दें.

Leave a Reply