ज्येष्ठ माह की अमावस्या व्रत की ही तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का भी बेहद महत्व होता है। स्कंद पुराण में वट सावित्री का व्रत पूर्णिमा के दिन रखने का जिक्र किया गया है। अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, तो वहीं पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। वट पूर्णिमा व्रत, वट सावित्री व्रत के समान ही है किन्तु अमानता कैलेंडर के अनुसार इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाते है।
पुराणों में बरगद के पेड़ को पूजनीय माना गया है। बरगद के पेड़ में ब्रम्हा, विष्णु व् महेश का वास माना जाता है. इस वृक्ष की जड़ में ब्रम्हा रहते है, बीच में विष्णु व् उपरी सामने के भाग में शिव होते है. इसलिए इस वृक्ष की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
सुहागिने यह व्रत पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। वट पूर्णिमा व्रत का पालन एक सुहागन महिला द्वारा अपने पति के प्रति पूर्ण समर्पण और सच्चे प्यार का प्रतीक है।
पूजन विधि :
• पूजा वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए। इसके बाद नए वस्त्रों और आभूषणों से श्रृंगार करना चाहिए। .
• वट सावित्री वाले दिन उपवास करना चाहिए है, व पूजा के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए।
• यह पूजा जिस वट के वृक्ष के नीचे होनी है उस स्थान को अच्छे से साफ़ करके वहाँ पर सभी आवश्यक पूजन सामग्रियों जैसे धुप, दीप, कुमकुम, अक्षत, मोली आदि को रख देना चाहिए।
• इसके बाद सत्यवान और सावित्री की मूर्तियाँ वट वृक्ष के जड़ में स्थापित करना चाहिए एवं इन मूर्तियों को लाल वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
• एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखते है, जिसे कपड़े से ढक देते है।
• अब वट वृक्ष में जल चढ़ाकर, कुमकुम, अक्षत चढाते है, साथ ही देवी सावित्री की पूजा करना चाहिए।
• इसके बाद बांस के पंखे से सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को हवा करते हैं. स्त्रियाँ वट वृक्ष के एक पत्ते को अपने बाल में लगा के रखती हैं।
• सत्यवान और सावित्री के व्रत की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद सच्चे मन से प्रार्थना करके लाल मौली/सूत के धागे को लेकर वट वृक्ष के चारों ओर घूमकर बांधते है, ऐसा 7 बार करते है.
• पूजन के बाद ब्राह्मण व जरुरत मंद को दान करना चाहिए। चना व गुड़ का प्रसाद चढ़ा कर सब में बाटना चाहिए।
• फिर घर में सभी बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। और प्रसाद से अपना उपवास खोलना चाहिए।
वट पूर्णिमा व्रत मुहूर्त:
मंगलवार 14 जून को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। सोमवार 13 जून रात्रि 09:02 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है जोकि अगले दिन मंगलवार 14 जून शाम 05:21 पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार वट पूर्णिमा का व्रत 14 जून को ही रखा जाएगा।