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क्या है महत्व दीपावली का, कब और कैसे मनाया जाता है ये त्यौहार।

By October 29, 2021 Blog
Famous Astrologer in Noida

दीपावली भारत के सबसे खास त्योहारों में से एक है। तमसो मा ज्योतिर्गमय यानि ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए,  यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। हिन्दुओं में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते है।

क्यों मनायी जाती है दीपावली? :

पंडित राम मेहर शर्मा  के अनुसार दीपावली का त्यौहार मनाने के कई कारण हैं और यह पर्व मनुष्यों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दिवाली मनाने के बहुत सारे पौराणिक और ऐतिहासिक कारण है।

  1. भगवान श्री राम की अयोध्या वापस: इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम माता सीता तथा भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास व्यतीत कर अयोध्या वापस आये थे| अयोध्या की प्रजा ने पूरी अयोध्या में मिटटी के दीप प्रज्वलित कर भगवान श्रीराम के आने की ख़ुशी व्यक्त कर उनका स्वागत किया था|
  2. देवी लक्ष्मी का जन्मदिन : राक्षसों तथा देवताओ के द्वारा क्षीर सागर के मंथन में देवी लक्ष्मी अमावस्या के दिन प्रकट हुई थी इसलिये माता लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है|
  3. भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मार डाला: दिवाली के त्योहार के नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, तथा उसकी कैद से 16000 महिलाओ को मुक्ति तथा प्रजा को उसके अत्याचार से बचाया था इसलिए द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनका धन्यवाद दर्शाया था|
  4. राज्य में पांडवों की वापसी : कार्तिक मास की अमावस्या को पांडव 12 वर्ष के निष्कासन की अवधि पूर्ण कर अपने राज्य वापस लौटे थे इसलिए पांडवो की आने की ख़ुशी में राज्य की प्रजा के द्वारा दीप जलाकर अपनी ख़ुशी प्रदर्शित की थी|

दिवाली 2021 कब है?

दीपावली का शुभ मुहूर्त: 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 3 मिनट से आरम्भ होकर, 05 नवंबर प्रातः 02 बजकर 44 मिनट

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त:  शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट कुल समय 1 घंटे 55 मिनट  तक माना गया है|

कैसे मनाया जाता है ये त्यौहार?

यह त्योहार 5 दिन का होता है| इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है, इसके बाद नरक चतुर्दर्शी, दिवाली, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (परेवा) तथा भाई दूज के बाद समाप्त होता है| धनतेरस के दिन लोग सोना- चांदी, कीमती वस्तुए तथा बर्तन इत्यादि की खरीदारी करते है, तथा नरक चतुर्दर्शी के दिन संध्याकाल में मुख्य द्वार तथा घर के आस –पास दिये जलाये जाते है|

इसके बाद अगले दिन अमावस्या के दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है धन कि देवी माता लक्ष्मी और गौरी पुत्र भगवान गणेश की पूजा करते हैं. इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी की पूजा की जाए तो घर में पैसों की कमी नहीं होती है.

तथा दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, तथा पांचवे दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है | इस दिन सभी बहने अपने भाईयो को पूजा करके तिलक कर मिठाई खिलाती है | इस प्रकार दिवाली का त्योहार ख़ुशी के साथ मनाया जाता है|

दीपावली या वास्तु एवं ज्योतिष सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए शालीमार बाग के ज्योतिषाचार्य राममेहर शर्मा जी ( Famous Astrologer in Noida) से परामर्श प्राप्त करें |

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