आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, और कौमुदी व्रत कहते हैं। शरद पूर्णिमा का व्रत अत्यंत सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है और धन वर्षा करती है । इस रात माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। जो शरद पूर्णिमा की रात जागरण करता है, दीपक जलाता है और माता लक्ष्मी के आगमन की तैयारी करता है, उसके घर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती हैं।
शरद पूर्णिमा 2022 चंद्रोदय
इस साल शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर दिन रविवार को है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रोदय शाम 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। इस रात चंद्रमा का भी बहुत महत्त्व होता है कहते है कि चन्द्रमा की किरणों में औषधीय गुण होता है और चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणे अमृत बरसाती है। इस दिन जिस भोज पदार्थ पर चन्द्रमा की किरणे पड़ती हैं वह औषधीय गुणों वाला हो जाता है । उसे खाने से सेहत अच्छी होती है। यदि कोई रोगी इस दिन रात में जल भर के रख दे जिमे चन्द्रमा की किरणे पड़े तो वह जल ओषधि के सामान हो है, इसे पीने से स्वास्थ अच्छा होता है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
1. शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ़ सफाई और स्नान आदि करने के बाद अपने इष्टदेव से समझ व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद मूर्तियों को कुश के आसन पर रखकर जल से पवित्र कर लें।
3. इसके बाद उन्हें गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजा और व्रत का संकल्प दौहराएं।
4. भगवान की तस्वीर या मूर्ती के सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही माँ लक्ष्मी को उनका प्रिय भोग खीर बनाकर रखना चाहिए, और भगवान विष्णु को सफेद या पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं। साथ ही उन्हें लाल और पीले रंग के फूल अर्पित करें।
5. शाम के समय चंद्रमा निकलने पर मिट्टी के 100 दीये या अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिये गाय के शुद्ध घी से जलाएं।
6. साथ ही रात के समय छोटे बर्तन में खीर रखकर उसे चंद्रमा की रोशनी में किसी छलनी से ढककर रख दें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करने के बाद मां लक्ष्मी को खीर अर्पित करें और फिर प्रसाद के रूप में परिवार के सभी लोगों के साथ खीर का भोग ग्रहण करें।
7. शरद पूर्णिमा की रात्रि प्रहर में जागरण करना चाहिए और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इस दौरान घर के मुख्य द्वार को खोलकर रखना चाहिए।