कुंभ संक्रांति हिंदू त्योहारों के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्य, मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के तुरंत बाद संक्रांति होती है कुंभ संक्रांति। जिस प्रकार पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का महत्व है उसी प्रकार संक्रांति तिथि का भी महत्व है।
मकर संक्रांति की ही तरह कुंभ संक्रांति पर भी स्नान-ध्यान, दान-पुण्य का विशेष महत्व है। संक्रांति के दिन स्नान से जातक को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में वर्णित है की संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है।
ऐसा कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, सूर्य उपासना करने और उन्हें अर्घ्य देने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं। भगवान सूर्य की उपासना करने से मान सम्मान और धन का वरदान प्राप्त होता है।
दान का महत्व
कुंभ संक्रांति के स्नान और दान का खास महत्व है। शुभ मुहूर्त के दौरान किया गया स्नान और दान लाभकारी फल देने वाला होता है।
इस दिन खानपान की चीजों, कपड़े आदि का दान कर सकते हैं। गरीबों को दान करें। साथ ही कुंभ संक्रांति पर गौ दान का बहुत महत्व है और इस दिन गौ दान करने से लाभ और पुण्य मिलता है।
पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन सुबह उठकर स्नान करे, इस दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है। अगरआप स्नान के लिए नहीं जा पाएं तो पानी में गंगा जल और तिल मिला लें। उसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और मंदिर में दीप जलाएं।
भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, सूर्य चालीसा पढें और आरती करे। पूजा करने के बाद किसी गरीब को या पंडित को दान की सामग्री दें। दान के लिये खाने पीने की चीजें, जैसे चावल, दाल, आलू और अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र का दान भी करें।
कुंभ संक्रांति मुहूर्त
कुंभ संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में ग्यारहवें महीने की शुरुआत का प्रतीक है। वर्ष की सभी बारह संक्रांतियां दान-पुण्य के लिए अत्यधिक शुभ होती हैं। प्रत्येक संक्रांति के पहले या बाद में निश्चित समयावधि ही संक्रांति संबंधी कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है।
कुंभ संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त
कुम्भ संक्रांति-13 फरवरी 2023 सोमवार
कुम्भ संक्रांति पुण्य काल – 07:02 AM से 09:57 AM
अवधि – 02 घंटे 55 मिनट
कुम्भ संक्रांति महा पुण्य काल – 08:05 AM से 09:57 AM
अवधि – 01 घंटा 51 मिनट