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देवोत्थान एकादशी 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि

By October 30, 2025 Famous Astrologer

देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ और पावन पर्व है। यह दिन भगवान विष्णु के चार महीने के शयन काल के बाद उनके जागरण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से सभी शुभ कार्य, विवाह, गृह प्रवेश और धार्मिक अनुष्ठान दोबारा शुरू किए जाते हैं।

देवोत्थान एकादशी 2025 की तिथि

वर्ष 2025 में देवोत्थान एकादशी का पर्व तिथि: 2 नवंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा।

एकादशी का व्रत 1 नवंबर की रात से प्रारंभ होकर 2 नवंबर की सुबह पारण (व्रत खोलने) के साथ समाप्त होगा।

देवोत्थान एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

चार महीने बाद, कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन वे पुनः जागते हैं, जिसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।

इस दिन से शुभ कार्यों जैसे—

विवाह,

गृह प्रवेश,

मुंडन संस्कार,

यज्ञ, आदि

दोबारा शुरू किए जा सकते हैं।

यह दिन आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आत्मजागृति, भक्ति और धर्म के प्रति नई शुरुआत का प्रतीक है।

पूजा विधि

देवोत्थान एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को पवित्र जल से स्नान कराएं।

तुलसी दल और पंचामृत से पूजा करें।

भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

शंख, चक्र, गदा, पद्म से सजे भगवान के चरणों का आराधन करें।

रात्रि में तुलसी विवाह का आयोजन करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

तुलसी विवाह और देव जागरण

देवोत्थान एकादशी को तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु) का विवाह किया जाता है। यह प्रतीकात्मक विवाह शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।

इस दिन घर में दीपदान, कीर्तन, भजन और तुलसी पूजन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।

ज्योतिषीय दृष्टि से देवोत्थान एकादशी

ज्योतिष के अनुसार, यह दिन सकारात्मक ग्रह प्रभावों और शुभ योगों से भरपूर होता है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जीवन के रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं और मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं।

यदि आप इस दिन विशेष पूजा, व्रत या ग्रहदोष निवारण उपाय करवाना चाहते हैं, तो अनुभवी Best Astrologer in Delhi से परामर्श लेना अत्यंत फलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य राममेहर शर्मा जी आपकी कुंडली देखकर आपको उचित व्रत विधि, दान और उपाय बता सकते हैं।

निष्कर्ष

देवोत्थान एकादशी 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह अध्यात्म, आस्था और नई शुरुआत का उत्सव है। इस दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही जीवन में शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु और माता तुलसी की आराधना करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का स्वागत करें।

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