जन्म राशि और नाम राशि को लेकर बहुत से लोगों के मन दुविधा रहती है। इसी दुविधा के निवारण हेतु हमने दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषी ज्योतिषाचार्य राममेहर शर्मा से बातचीत की। उन्होंने बताया की इस दुविधा का समाधान ज्योतिष शास्त्र में दिया गया है। जब एक शिशु जन्म लेता है तो उसके जन्म के तदोपरांत उसके गृह और नक्षत्रों के अनुसार उसकी जन्म कुंडली तैयार की जाती है, जिसमें उसके जीवन में जो भी घटित होने वाला होता है उसका परिचय होता है।
जैसा हम सभी को पता है कि कुल १२ राशियाँ होती है और जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि पर होता है, वही आपकी जन्म राशि कहलाती है। बहुत से लोग जन्म राशि के अनुसार नामकरण करना अच्छा नहीं मानते है, इसलिए एक व्यक्ति कि दो राशियाँ हो जाती है, एक जन्म राशि और दूसरी जिस नाम से वह प्रचलित होता है, उस नाम की राशि।
ज्योतिषाचार्य राममेहर शर्मा ने दोनों राशियों में अंतर और उनका महत्व ज्योतिष शास्त्र के इस श्लोक से समझाया है, जो इस प्रकार है:
विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु।
जन्म राशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि विवाह के समय, विद्या आरम्भ करने से पहले, यज्ञोपवीत आदि पवित्र संस्कारों में जन्म नाम को ज्यादा महत्व दिया ज्यादा है। जबकि देश, गॉंव, युद्ध, सेवा, नौकरी, मुकदमा या व्यापार आदि से सम्बंधित कार्यों के लिए प्रचलित नाम की राशि को महत्व दिया जाता है।
बच्चे के जन्म के समय नक्षत्रों के अनुसार जो नाम रखा जाता है, उस नाम से जो राशि बनती है, वह जन्म राशि कहलाती है और जिस नाम से हम उस बच्चे को बुलाते है जो जन्म राशि से अलग होता है, उस नाम के पहले अक्षर से जो राशि बनती है, वह नाम राशि कहलाती है। ज्यादा जानकारी के लिए आप दिल्ली एनसीआर में सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी, ज्योतिषाचार्य राममेहर शर्मा जी से संपर्क कर सकते है।