इस साल गोवर्धन पूजा 15 नवंबर 2020 को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस त्यौहार का पौराणिक महत्व है| इस दिन गोवर्धन और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है अतः इस पर्व में प्रकृति एवं मानव का सीधा संबंध स्थापित होता है| शास्त्रों के अनुसार, गाय पवित्र प्राणी हैं यह पर्व दीपावली के अगले दिन ही पड़ता है I यह त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन इसका सार उत्तर भारत में विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, नंदगाँव, गोकुल और बरसाना के व्रज भूमि के क्षेत्रों में है।
पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण का इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी बाये हाथ की छोटी उंगली में उठा लिया था तथा सभी गोकुल वासियों और पशुओं की रक्षा की थी। इसके पीछे उद्देश्य ब्रज वासियों को गौ धन एवं पर्यावरण के महत्त्व को बतलाना था| ताकि वे उनकी रक्षा करें| आज भी हमारे जीवन में गौ माता का विशेष महत्त्व है| आज भी गौ द्वारा प्राप्त दूध हमारे जीवन में बेहद अहम स्थान रखता है |
आज गोवर्धन पर्वत को पर्वतों का राजा कहा जाता है| ऐसी संज्ञा गोवर्धन को इसलिए प्राप्त है क्योंकि यह भगवान कृष्ण के समय का एक मात्र स्थाई व स्थिर अवशेष है, गोवर्धन अपने मूल स्थान पर ही अविचलित रुप में विद्यमान रहे | गोवर्धन को भगवान कृष्ण का स्वरुप भी माना जाता है और इसी रुप में इनकी पूजा की जाती है |
इस दिन लोग घर के आंगन या मुख्य द्वार पर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाते हैं । मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख कर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं । पकवान और पंचामृत का भोग लगाते हैं । गोवर्धन पूजा की कथा सुनते हैं, प्रसाद वितरण करते हैं ।
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