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गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और प्रकृति की पूजा की जाती है। Gowardhan Pooja मुख्य रूप से उत्तर भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक मूर्ति बनाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र देव के कोप से गाँव के लोगों की रक्षा करने की कथा से जुड़ा हुआ है।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा से जुड़ा हुआ है। इसकी कथा के अनुसार, एक बार गोकुलवासी भारी वर्षा और बाढ़ से परेशान हो गए। यह वर्षा देवराज इंद्र के क्रोध के कारण हो रही थी। गोकुल के लोग हर साल इंद्र देव की पूजा करते थे ताकि वर्षा ठीक से हो और फसल अच्छी हो सके। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने की सलाह दी। उनका मानना था कि प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, जो असल में हमें खाद्य और अन्य आवश्यक संसाधन देते हैं।
जब गोकुलवासियों ने इंद्र की पूजा छोड़ दी, तो इंद्र क्रोधित हो गए और भारी बारिश शुरू कर दी। इस कठिन समय में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और गाँव के लोगों और जानवरों को इसके नीचे आश्रय दिया। सात दिनों तक लगातार वर्षा होती रही, लेकिन भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से सभी को सुरक्षित रखा। इस घटना के बाद, सभी गोकुलवासियों ने गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा शुरू कर दी।
Gowardhan Pooja 2024 : तिथि और शुभ मुहूर्त
Gowardhan Pooja 2024 में 2 नवंबर 2024, शनिवार को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन गोवर्धन पूजा का समय प्रातःकाल से लेकर दिन तक रहता है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त:
प्रातःकाल गोवर्धन पूजा मुहूर्त: 6:30 AM से 8:30 AM
अन्नकूट पूजा का समय: प्रातः 10:00 AM से दोपहर 12:00 PM तक
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गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्त्व
गोवर्धन पूजा का महत्त्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा स्थापित एक अमूल्य संदेश से जुड़ा है। इस कथा के अनुसार, जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों को बारिश और बाढ़ से परेशान करने का निश्चय किया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर पूरे गाँव को बाढ़ से बचाया। उन्होंने सभी को प्रकृति की रक्षा और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का संदेश दिया। इस प्रकार यह पर्व मानव जीवन में प्रकृति के महत्त्व को दर्शाता है और यह भी सिखाता है कि हमें अंहकार से बचना चाहिए।
गोवर्धन पूजा की पूजा विधि
गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाना: घर में गोधन (गोबर) से गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक आकृति बनाई जाती है और इसमें गोवर्धन भगवान के प्रतीक स्वरूप दीप, पुष्प, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित की जाती है।
भगवान कृष्ण की पूजा: भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को सजाया जाता है। उन्हें फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।
अन्नकूट की तैयारी: इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से भगवान को भोग लगाया जाता है। यह भोग अन्नकूट कहलाता है, जिसमें सब्जी, मिठाई, और अनाज का भोग शामिल होता है।
परिक्रमा करना: गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्त्व है। जिन स्थानों पर वास्तविक गोवर्धन पर्वत स्थित है, वहां हजारों भक्त इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
धार्मिक कथा सुनना: गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश और इंद्र देव से जुड़े कथा को सुनना शुभ माना जाता है। इससे मन को शांति और भक्ति का अनुभव होता है।
गोवर्धन पूजा का संदेश
Gowardhan Pooja 2024 हमें प्रकृति से प्रेम, संरक्षण और भगवान के प्रति भक्ति भाव का संदेश देती है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपने पर्यावरण और प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में जो कार्य किए, वे सभी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
गोवर्धन पूजा में भगवान की भक्ति और प्रकृति की रक्षा का आदर्श रूप से पालन करना, हमारे जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है|