द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा के बाद चंद्रमा (Moon) को अर्घ्य दिया जाता है. कहते हैं संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमां की पूजा के बिना व्रत (Hindu Vrat) का पारण नहीं करना चाहिए. 9 फरवरी 2023 को चंद्रमा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात 09 बजकर 25 मिनट है. मान्यता है कि इस दिन चांद की अराधना से आरोग्य का वरदान मिलता है और चंद्र दोष दूर होते हैं. साधक मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है.
सुकर्मा योग – 08 फरवरी 2023, शाम 04.31 – 09 फरवरी 2023, शाम 04 बजकर 46
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी महत्व (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Significance)
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के 32 रुपों में से उनके 6वें स्वरूप की पूजा की जाती है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत के परिणाम स्वरूप साधक को धन, सुख, व्यापार में वृद्धि और ग्रह दोष का अंत होता है. मान्यता है कि इस दिन दूर्वा, सुपारी, लाल फूल से गणपति की खास पूजा (Ganesh Puja) की जाती है.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणपति को पूजा 11 दूर्वा गांठ चढ़ाएं और फिर 108 बार ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥ इस मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि इस विधि से गौरी पुत्र गजानन की पूजा करने पर सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ की प्राप्ति होती है. परिवार में चल रहे जमीन-जायदाद के विवाद की समस्या का समाधान होता है.