देवशयनी एकादशी का अर्थ है देवताओं के शयन की एकादशी अर्थात् इस दिन से भगवान विष्णु समेत सभी देव योग निद्रा में चले जाते हैं, जबकि इन दिनों सृष्टि का पालन भगवान शिव करते है. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होता है, जो चार माह का होता है. देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है. लेकिन दैनिक पूजा पाठ करने पर कोई पाबंदी नहीं होती है ।
देवशयनी एकादशी का महत्व
वेदों में वर्णित कथा के अनुसार भगवान विष्णु असुरों के नाश के लिए और भक्तों की प्रार्थना सुनने के लिए कई वर्षों तक जागते थे. या कभी वे लाखों वर्षों के लिए गहरी नींद में सो जाया करते थे. इसपर माता लक्ष्मी ने सुझाव दिया कि वे प्रतिवर्ष निद्रा में जाने के लिए नियम बना लें. इस सुझाव को भगवान ने स्वीकार किया और प्रतिवर्ष चार माह नींद लेने का नियम निर्धारित किया. जिस तिथि भगवान नींद लेने गए थे उस दिन आषाढ़ मास की एकादशी तिथि थी।
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इन चार माह में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन आदि नहीं होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जितने दिन भगवान नींद में होते हैं उस समय विशेष पूजा-पाठ या कोई भी मांगलिक कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए. साथ ही व्यक्ति को यात्रा से बचना चाहिए।
देवशयनी एकादशी तिथि और समय
देवशयनी एकादशी रविवार, जुलाई 10, 2022 को मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी के दिन तीन योग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बन रहे हैं। शुभ योग प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 45 मिनट तक है. उसके बाद शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा ।
देवशयनी एकादशी को रवि योग प्रात: 05 बजकर 31 मिनट से शुरु होगा और सुबह 09 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. ये सभी योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं ।
एकादशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 09, 2022 को शाम 04 बजकर 39 मिनट पर शुरू
एकादशी तिथि समाप्त – जुलाई 10, 2022 को शाम 02 बजकर 13 मिनट पर खत्म
पारण का समय- 11 जुलाई 2022 को सुबह 05 बजकर 56 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक