3 अगस्त 2020 को प्रातः 9:29 तक भद्रा है, तत्पश्चात राखी (रक्षा सूत्र) बांधने का शुभ मुहूर्त निम्न प्रकार से है।
शुभ काल : 09:29AM से 10:42AM तक
अभिजीत मुहूर्त : 11:56AM से 12:50PM तक
शुभ चर : 14:04 PM से 15:45PM तक
लाभ बेला : 15:45PM से 17:27PM तक
अमृतवेला : 17:27PM से 19:08PM तक
शुभ चर : 19:08PM से 20:27PM तक
राखी बांधने के समय भद्रा नहीं होनी चाहिए । कहते है कि रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांध दी थी इसलिए रावण का विनाश हो गया ।
3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है ।
राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा ।
दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है ।
इसके बाद शाम को 7 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9:30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है ।
क्यों मनाया जा रहा है रक्षाबंधन, जानें पूरी कहानी
पुराणों में वर्णित कथा के हिसाब से दैत्य कुल के राजा बलि ने देवताओं के प्रमुख इंद्र का आसन पाने के लिए सौ यज्ञ करने का संकल्प लिया। राजा बलि जब सौवां यज्ञ कर रहे थे तब इंद्रादि देवताओं की प्रार्थना पर स्वयं भगवान विष्णु ही वामन का रूप धर कर बलि की यज्ञशाला में आए। भगवान वामन ने राजा बलि से अपने लिए तीन पग भूमि मांगी। दैत्यगुरू शुक्राचार्य के मना करने पर भी बलि ने भगवान वामन को तीन पग भूमि दे दी।
वामन ने अपने शरीर को बढ़ा दो पगों में ही पृथ्वी व स्वर्ग को नाप लिया तथा तीसरा पग दैत्यराज बलि के मस्तक पर रखा। बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान वामन ने बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने वरदान में भगवान विष्णु को अपने पाताललोक का द्वारपाल होना ही मांग लिया। इस कारण भगवान विष्णु वैकुंठलोक छोड़कर पाताललोक में राजा बलि के द्वाररक्षक हो गए। भगवती लक्ष्मी अपने पति विष्णु को खोजने लगीं और खोजते हुए पाताललोक पहुंचीं तथा भगवान विष्णु को अपने साथ चलने के लिए कहने लगीं I भगवान विष्णु ने बलि को दिए वरदान के अनुसार जाने से मना कर दिया। तब भगवती लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को अपना भाई बनाते हुए रक्षासूत्र बांधकर अपने पति को मांग लिया।
उस दिन श्रावणी पूर्णिमा का ही दिन था। बलि ने अपनी बहन लक्ष्मी की इच्छा का सम्मान करते हुए भगवान विष्णु को ससम्मान उनके साथ भेज दिया। तब से आज तक रक्षाबंधन का पवित्र पर्व चला आ रहा है। आज अपने पुरोहित से रक्षासूत्र बंधवाना चाहिए। यदि भद्रा हो तो उसे टालकर सविधि ऋषियों का पूजन करने के बाद ब्राह्मण से पुरूषों को दाएं हाथ और महिलाओं को बाएं हाथ पर रक्षासूत्र बंधवाना चाहिए। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण अनिवार्य रूप से करना चाहिए I