वास्तु एक विज्ञान है जो सही दिशा बताता और वास्तु के नजरिये से देखे तो यह जरुरी है के बच्चे किस दिशा में बैठ के पढ़ते। अच्छे परिणामों के लिए आप कड़ी मेहनत कर सकते हैं, लेकिन जो परिणाम सामने आते हैं, वे संतोषजनक नहीं हो सकते। वास्तु शास्त्र के अनुसार पढ़ाई में अव्वल आना व अच्छा प्रदर्शन केवल आप पर नहीं बल्कि आपके आस पास मौजूद ऊर्जा पर निर्भर करता है। यदि किन्हीं कारणों से यह ऊर्जा नकारात्मक है तो ये आपके ध्यान व एकाग्रता दोनों को प्रभावित करती है।
छात्रों के लिए कुछ निश्चित वास्तु टिप्स हैं जो अच्छे परिणाम के लिए मदद करेंगे , एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार लाएंगे।
- घर के पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में पढ़ने का कमरा होना चाहिए, इससे सीखने की शक्ति में सुधार होता है और ज्ञान बढ़ता है।
- पूर्व दिशा आपको थका हुआ महसूस नहीं होने देता है। और आपको ऊर्जावान महसूस कराती है। इसलिए हमेशा अध्ययन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा चुनने का प्रयास करें।
- स्टडी रूम का दरवाजा पूर्व या उत्तर दिशा में भी होना चाहिए।
- एक अध्ययन कक्ष, शौचालय के नीचे बीम, या सीढ़ी के नीचे नहीं होना चाहिए।
- पुस्तकों और अन्य वस्तुओं को स्टडी टेबल पर व्यवस्थित तरीके से रखा जाना चाहिए
- सीधे प्रकाश की रोशनी के नीचे न बैंठे इससे यह आपकी एकाग्रता को प्रभावित करेगा।
- छात्र को अध्ययन कक्ष के दरवाजे के बिल्कुल सामने नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि दरवाजे से आने वाली ऊर्जा का भारी प्रवाह उसकी एकाग्रता और ध्यान पर गलत प्रभाव डालता है।
- बुकशेल्फ़ स्टडी टेबल के ऊपर होनी चाहिए।
अध्ययन कक्ष में भगवान गणेश और देवी सरस्वती के चित्र होने चाहिए। - अध्ययन स्थान में पिरामिड रखने से ऊर्जा में संतुलन होता है और स्मरण शक्ति यानी याददाश्त बढ़ती है।
- अपनी अनूकूल दिशा में बैठ कर पढ़ने से विद्यार्थी ऊर्जावान व उत्साहित महसूस करते हैं। सही दिशा उनके अजना चक्र को सक्षम कर के एकाग्रता स्तरों को बढ़ाती है।
आशा करते है कि ये छोटे छोटे उपायों को करके विद्यार्थी वो सफलता प्राप्त कर सकेंगे जिसके वे हक़दार है।