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नए साल का पहला प्रदोष व्रत

By January 3, 2023 Blog

भोलेनाथ हमारे भक्ति भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन यदि कोई व्रत उनके विशेष दिन में किया जाये तो उसका फल कभी खIली नहीं जाता। उनमे से एक है प्रदोष व्रत। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। कहते हैं इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सारे सुख प्राप्त होते हैं और कष्टों का निवारण होता है और विघ्न, बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। जिसमे सूर्यस्त के बाद शिवजी की पूजा की जाती है।

साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ रहा है। इस दिन बुधवार है इसलिए यह बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस व्रत की पूजा प्रदोष काल मुहूर्त में विधिपूर्वक करने का विधान है। ज्योतिष राम मेहर शर्मा के अनुसार, यह व्रत 03 जनवरी, मंगलवार को रात 10 बजकर 01 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 04 जनवरी बुधवार की रात 12 बजे तक है। ऐसे में उदयातिथि को मानकर प्रदोष व्रत 04 जनवरी को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: 04 जनवरी 2023, बुधवार, शाम 05:37 बजे से रात 08:21 तक मान्य है।
अभिजित मुहूर्त: 04 जनवरी 2023, बुधवार, दोपहर 12:13 बजे से 12:57 बजे तक

प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत शिव जी की आराधना करने का सबसे अच्छा दिन है इस व्रत को करने से सारी संकटों का नाश होता है। इसके अलावा ग्रह / कुंडली दोष, परेशानी, रोग आदि भी दूर होते हैं। साथ ही भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मिलता है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ धन, संपत्ति, पुत्र, आरोग्य आदि का वरदान भी मिलता है।
इस साल प्रदोष व्रत के दिन तीन शुभ योग पड़ रहे हैं इसलिए इसका महत्त्व और बढ़ गया है।

04 जनवरी को सुबह से लेकर दोपहर 01 बजकर 52 मिनट तक प्रीति योग बन रहा है। इसके बाद से आयुष्मान योग बन रहा है, रवि योग भी बन रहा है, जो सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष में इन तीनों योगों को विशेष माना गया है। इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोनामनाएं पूर्ण होती हैं।

व्रत एवं पूजन विधि

प्रदोष के सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा के स्थन को गंगा जल से साफ करलें। एक चौकी पर भगवान शिव को स्थापित कर लें।इसके बाद धूप – अगरबत्ती जलाएं। फिर उनको पीला चंदन लगाएं। इसके बाद भगवान शिव की पूजा गंगा जल, बेल पत्र, शमी पत्ते, धतूरा और भांग आदि से करें। फिर बुध प्रदोष की कथा पढ़े उसके बाद शिव चालीसा का पाठ करके आरती करें। शाम को शिव मंदिर में जाकर दूध, कही से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। इसके बाद अपने व्रत का पारण करे।

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