fbpx
was successfully added to your cart.

Cart

ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि , शुभ मुहूर्त , महत्व , पूजा विधि और दान का महत्त्व

By June 5, 2024 Blog, Blogs

अमावस्या पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसके साथ ही गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा और पिंड दान आदि कार्य किए जाते हैं।

ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या बहुत मानी जा रही है। इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून 2024 को को मनाई जाएगी।

ज्येष्ठ अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर होगी और इस तिथि की समाप्ति 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी। इस तरह ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को मनाई जाने वाली है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान का समय सुबह 04:02 से 04:42 तक है।

ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सूर्य देव, महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करने तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से साधक को कभी न समाप्त होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि

अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें। इस दिन गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इस दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग व्रत भी रखते हैं।

इस दिन देवी गंगी की पूजा का विधान है। इस तिथि पर दान-दक्षिणा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर ज्यादा से ज्यादा पुण्य कार्य करना चाहिए। इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए। इस तिथि पर पवित्रता का पालन करना चाहिए।

यह दिन धार्मिक विधियों के लिए भी विशेष माना जाता है। इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा फलदायी मानी जाती है।

ज्येष्ठ अमावस्या पर दान का महत्व

हिन्दू धर्म में दान का अपना अलग महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, यदि साधक विशेष समय पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देते हैं तो प्रकृति के विधान के अनुसार उन्हें पूर्व में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।

जब व्यक्ति अपना शरीर छोड़कर यमलोक की ओर प्रस्थान करता है तो उसके द्वारा किए गए पुण्य ही उसके साथ जाते हैं। बाकी सारी चीजें धरती रूपी भवसागर में यहीं छूट जाती हैं।

Leave a Reply