जानें दशहरा त्योहार का पौराणिक महत्व
भारत त्योहारों और रीति रिवाजों का देश है। यहाँ कई ऐसे त्यौहार मनाए जाते हैं जो आपको बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार जो इस बात को चिन्हित करता है वो दशहरा है। यह दिवाली से दो सप्ताह पहले मनाये जाने वाला ये त्यौहार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है। दशहरा विजयदाशमी, दशरा, या कभी-कभी दशन के रूप में भी जाना जाता है।
दशहरा का महत्व
दशहरा एक सर्व प्रचिलित हिंदू त्यौहार है। दशहरा त्यौहार का महत्व इसके धार्मिक मूल्य में है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाता है। यह रावण पर भगवन राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है। रावण अत्यंत बलशाली , प्रकांड पंडित था। लेकिन उसका अहंकार इनसब से बड़ा था। दशहरा यानी न्याय, नैतिकता, सत्यता, शक्ति और विजय का पर्व है दशहरें में रावण के दस सिर इन दस पापों के सूचक माने जाते है – काम, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, आलस्य, झूठ, अहंकार, मद और चोरी। इन सभी पापों से हम किसी ना किसी रूप में मुक्ति चाहते है और इस आस में हर साल रावण का पुतला बड़े से बड़ा बना कर जलाते है कि हमारी सारी बुराइयाँ भी इस पुतले के साथ अग्नि में स्वाह हो जाये।यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि “अन्याय और अधर्म का विनाश तो हर हाल में सुनिश्चित है। फिर चाहे आप दुनियाभर की शक्तियों और प्राप्तियों से संपन्न ही क्यो न हो।
देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा त्योहार विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।लगभग हर शहर में, राम लीला कई रातों के लिए आयोजित की जाती है। हजारों लोग इसका आनंद लेने के लिए जाते हैं।
कहीं कहीं हिन्दू रीती-रिवाजों के अनुसार विजयदशमी के दिन शास्त्र पूजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस दिन शुभ कार्य जैसे – बच्चे का विद्यारंभ संस्कार, नया व्यवसाय का आरंभ, नई फसलों के बीज बोना आदि शुरू किये जाते हैं। कहा जाता है इस दिन जिस भी कार्य का प्रारंभ किया जाता है उसमे सफलता अवश्य मिलती है।
इस वर्ष दशहरा का पर्व 5 अक्टूबर 2022 (बुधवार) को मनाया जाएगा।दशहरा के इस पावन पर्व पर ईश्वर सभी को सत्य, ज्ञान और शक्ति दे। आप सबका कल्याण हो।