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जया एकादशी 2023

By January 31, 2023 Blog

पुराणों में माघ महीने को बड़ा ही पुण्यदायी माना गया गया है। इस माह में स्नान और दान करना बेहद उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि माघ महीने में स्नान, दान और व्रत का फल अन्य महीनों से अधिक मिलता है। इसके अलावा इस महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का भी विशेष महत्व बताया गया है।

माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जया एकादशी कहलाती है। जया एकादशी व्रत बेहद शुभ फल देने वाला है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ और उपवास रखने से भक्तगण पर सृष्टि रचियता भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। कोई व्यक्ति यदि जया एकादशी का व्रत रखता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते है। ऐसी भी मान्यता है, कि जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक इस व्रत को करता है उसे भूत, प्रेत, पिसाच जैसी नीच योनियों में जाने का डर नहीं होता है।

जया एकादशी 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार, जया एकादशी तिथि की शुरुआत 31 जनवरी दिन मंगलवार को सुबह 11 बजकर 55 मिनट से है।और ये तिथि अगले दिन 01 फरवरी, बुधवार को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट तक समप्त होगी ।

उदयातिथि के अनुसार जया एकादशी व्रत 01 फरवरी बुधवार को रखा जाएगा। 01 फरवरी को प्रातः काल से लेकर सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक पूजा का उत्तम मुहूर्त है। इस समय आप पूजा कर सकते हैं।

साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ है और अगले दिन 02 फरवरी को प्रात: 03 बजकर 23 मिनट तक है। इसके अलावा जया एकादशी को इंद्र योग भी बना है। इंद्र योग इस दिन प्रात: काल से लेकर सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक है। इंद्र योग भी शुभ योग होता है।

पारण समय

02 फरवरी को जया एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण का समय सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक है।

पूजा विधि

जया एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन एक ही समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. और संयमित और ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और फिर विष्णु जी की आराधना करें।

पीले फूल, धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करके भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करनी चाहिए. घी में हल्दी मिलाकर भगवान विष्ण़ु का दीपक करें।

पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को चढ़ाएं।

एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं।

भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें।

भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजन करें और गोमती चक्र और पीली कौड़ी भी पूजा करे। रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करना चाहिए।

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