हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य 12 महीने हर राशि में भ्रमण करते रहते हैं। संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना । हिंदी महीनों में, प्रत्येक संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है, तो उसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। साल 2022 में वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
• वृश्चिक संक्रांति तारीख- 16 नवंबर 2022, 12 बजकर 06 से प्रारंभ
• वृश्चिक संक्रांति समाप्ति- 16 नवंबर 2022, शाम ०५ बजकर 27 मिनट पर
वृश्चिक संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में वृश्चिक संक्रांति का खास महत्व है। वृश्चिक संक्रांति एक बेहद पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन दान पूर्ण करने से धन की समस्या भी बहुत हद तक दूर हो जाती है और विशेष फल की प्राप्ति होती है । इस दिन श्राद्ध, पितृ तर्पण, ब्राह्मणों को भोजन भी किए जाते हैं। वृश्चिक संक्रांति के दिन गाय दान करने का भी बहुत महत्त्व है। वृश्चिक संक्रांति धार्मिक व्यक्तियों, वित्तीय कर्मचारियों, छात्रों व शिक्षकों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। वृश्चिक संक्रांति के विशिष्ट पूजन व उपाय से छात्रों को परीक्षा में सफलता मिलती है और कैरियर में भी सफलता मिलती है।
वृश्चिक संक्रांति पूजन विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नानादि करके सूर्य देवता की पूजा करें। इसके लिए तांबे के लोटे में पानी डालकर उसमें लाल चंदन, रोली, हल्दी और सिंदूर डालकर भगवान को अर्ध दें। सूर्य देवता को गूगल की धूप से आरती दिखाएं। घी और लाल चंदन का लेप लगाकर भगवान के सामने दीया जलाएं। फिर सूर्य देवता को लाल फूल अर्पित करें। बाद में गुड़ से बने हलवा का भोग लगाएं। सूर्य देवता की पूजा करते समय ओम दिनकराय नमः मंत्र का जाप करते रहे।
वृश्चिक संक्रांति के उपाए
वृश्चिक संक्रांति बहुत लाभ देने वाली है। पंडित राम मेहर शर्मा के अनुसार इस दिन यदि कुछ उपाए किये जाये तो धन- वैभव , विद्या , कारोबार आदि में आपको भरपूर सफलता मिल सकती है।
• वृश्चिक संक्रांति के दिन भगवान शिव की पूजा करने से आपका भाग्य उदय होगा।
• इस दिन चांदी के बर्तन में पानी का सेवन करें।
• यदि इस दिन पीपल के पेड़ की टहनियों को नहाने वाले पानी में डालकर स्नान करें तो किस्मत चमक सकती है।
• वृश्चिक संक्रांति के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी और कपूर मिलाकर दीया जलाएं।
• छात्रों को परीक्षा में सफलता पाने के लिए इस दिन सूर्यदेव पर खजूर फल के रूप में चढ़ाये और बाद में उन चढ़े हुए खजूर के प्रसाद को गरीब छात्रों में बाटें।