कहते है कि ईश्वर का किसी भी तरह से जाप करने से पुण्य मिलता है, जितना पुण्य बोलकर जाप करने से मिलता है उतना ही मौन रहकर जाप करने से मिलता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन मौन रहकर दान और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। माघ माह में आने वाली इस अमावस्या का विशेष महत्व है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों के जल में अमृत के गुण आ जाते हैं।और माना जाता है कि मौनी अमावस्या पर मनु ऋषि का जन्म भी हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई।
तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिष और पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 21 जनवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर लग रही है और अगले दिन 22 जनवरी 2023 को रात 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषआचार्य राम मेहर शर्मा जी के अनुसार मौनी अमावस्या पर 30 वर्ष बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार मौनी अमावस्या पर खप्पर योग बन रहा है। यह योग धार्मिक कार्यो और कुंडली में शनि देव को प्रसन्न करने के लिए किए जानें वाले उपायों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
मौनी अमावस्या का महत्त्व
मौनी अमावस्या पर किए गए उपायों से व्यक्ति अपनी परेशानियों को दूर कर सकता है। इस अमावस्या को मौन रहकर स्नान किया जाता है और स्नान के बाद ही मौन व्रत खोलने का विधान है। वहीं इस दिन पितरों के तर्पण का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अतः इस दिन उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण आदि उपाय अवश्य करने चाहिए। इस दिन किए गए उपायों से कालसर्प दोष दूर होता है। अमावस्या के कुछ उपाय निम्न प्रकार हैं-
मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें, मौन रहकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। फिर गायत्री मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को जल से अर्ध्य दें। इससे सूर्य की अनुकूलता प्राप्त होती है।
भूखे-गरीबों को काले रंग के कंबल, काले तिल, तिल के लड्डू, आदि दान करें। यथासंभव उन्हें वस्त्र, भोजन आदि दान करें।
स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
मौनी अमावस्या पर तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें।