हर साल १२ एकादशी आती हैं। पर पुत्रदा एकादशी साल में २ बात आती है। पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। वहीं दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की व्रत- पूजा आराधना की जाती है। पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जानी चाहिए। पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। व्रत का माहात्म्य सुनने वाले को भी मोक्ष मिलता है
संतान प्राप्ति का महत्त्व
धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों की संतान प्राप्ति में बाधा है उन लोगों के लिए ये व्रत बहुत शुभदायी है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा से स्वस्थ संतान की प्राप्ती होती है। अतः जिन लोगों की संतान नहीं है, उन लोगों को यह व्रत जरूर करना चाहिए। भगवन विष्णु के बाल गोपाल रूप की पूजा करनी चाहिए। द्रादशी को भगवान विष्णु को अर्ध्य दे कर पूजा सम्पन करनी चाहिए। फिर ब्राह्मणो को भोजन करवाने के बाद खुद भोजन करना चाहिए।
पौष पुत्रदा एकादशी 2023 पर शुभ मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत नए साल के दूसरे दिन यानी कि 2 जनवरी 2023 को रखा जाएगा।
3 जनवरी को पारण का समय – 07:14 सुबह से 09:19 सुबह
पारण के दिन द्वादशी समाप्ति मुहूर्त – रात्रि 10:01 बजे
एकादशी तिथि प्रारंभ – 01 जनवरी 2023 को शाम 07:11 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 02 जनवरी 2023 को रात्रि 08:23 बजे
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल पौष पुत्रदा एकादशी पर तीन शुभ योग निर्मित हो रहा है। इस दौरान सिद्ध, साध्य, रवि योग निर्मित हो रहा है। इस योग में पूजा से कई गुना अधिक फल मिलता है।