हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत रखता है, उसे सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है।
निर्जला एकादशी का शुभ महूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 मई 2023 मंगलवार के दिन दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर निर्जला एकादशी प्रारम्भ होगी और अगले दिन 31 मई 2023 बुधवार के दिन दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर समापन होगा। उदय तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी 2023 व्रत पारण समय
पंचांग बताया गया है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन अर्थात 1 जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बीच किया जा सकेगा।
निर्जला एकादशी में शुभ योग
इस दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05 बजकर 24 से सुबह 6 बजे तक रहेगा।
निर्जला एकादशी की पूजाविधि
निर्जला एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर ही स्नान कर लें और मन ही मन भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत करने का संकल्प लें। पूजाघर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। लकड़ी की चौकी पर साफ पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। भगवान विष्णु की पूजा में पीले रंग चावल, पील फूल और पीले फल भी शामिल करें। विधि विधान से निर्जला एकादशी की पूजा करें और उसके बाद मिष्ठान का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में वितरित करें।
निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी का व्रत करने से आपको संपूर्ण एकादशियों का फल मिलता है और भगवान विष्णु आपसे बहुत प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को करने वाले लोगों को अन्न और जल का त्याग करके व्रत करना पड़ता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत को करने से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।