भगवान विष्णु को एकादशी तिथि बहुत प्रिय है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशी में से उत्पन्न एकादशी का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन विधिवत रूप से पूजा और व्रत रखने से सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही व्यक्ति मोह माया से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद बैकुंठधाम को जाता है। इस दिन एक नहीं बल्कि चार शुभ योग बन रहे हैं। इस शुभ योगों में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी और इस व्रत को रखने से इस जन्म के साथ साथ पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्त्व
पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु का युद्ध मुर नामक राक्षस से हो रहा था। युद्ध के बीच में भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसी बीच राक्षस मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए उस आश्रम में आ गया और विश्राम करते हुए विष्णु जी को मारना चाहा तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। देवी से भगवान विष्णु काफी प्रसन्न हुए और उनका नाम एकादशी रख दिया। और कहा कि प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ साथ आपकी भी पूजा की जाएगी। साथ ही जो मनुष्य उत्पन्ना एकादशी का व्रत करेगा वह पापों से मुक्त हो जाएगा।इसलिए इस दिन देवी उत्पन्ना के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने से व्यक्ति मोह माया से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद विष्णु लोक को जाता है।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
हर एकादशी की तरह इसके भी वही नियम है अतः सुबह जल्द उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई कर लें। इसके बाद दीपक जलाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक कर लें। भगवान विष्णु के अभिषेक के बाद उन्हें सुपारी, नारियल, फल लौंग, पंचामृत, अक्षत, मिठाई और चंदन अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें। साथ ही इस बात का ख्याल रखें की भगवान विष्णु के लिए जो भी भोग निकाले उसमें तुलसी का इस्तेमाल जरूर करें। उत्पन्ना एकादशी की कथा कहे और व्रत का संकल्प लें। द्रादशी के दिन इस व्रत का परं करें। ब्राह्मणो और गरीबों को भोजन और दान इत्यादि दे। इस प्रकार अपने व्रत को सम्पूर्ण करें।
उत्पन्ना एकादशी तिथि – 20 नवंबर 2022 रविवार
मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि आरंभ- 19 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू
मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि समाप्त – 20 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक