मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व रखता है। Makar Sankranti 2025 को 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस लेख में हम जानेंगे कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, इसका इतिहास क्या है, यह कब से मनाई जा रही है और इसका सही समय और महत्व क्या है।
मकर संक्रांति: क्यों मनाई जाती है?
मकर संक्रांति का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव की आराधना करना और उनकी कृपा के प्रति आभार व्यक्त करना है। हिंदू धर्म में सूर्य देव को ऊर्जा, शक्ति और जीवन का स्रोत माना गया है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे “सूर्य के उत्तरायण” होने का प्रतीक माना जाता है।
उत्तरायण का अर्थ है कि सूर्य अब दक्षिण से उत्तर की ओर गमन करेंगे, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे सकारात्मकता और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, जैसे गंगा स्नान, दान-पुण्य और सूर्य देव की पूजा, अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं।
मकर संक्रांति: कब से मनाई जा रही है?
मकर संक्रांति का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथों और वेदों में मिलता है। यह त्योहार सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। पुराणों के अनुसार, मकर संक्रांति पर भगवान विष्णु ने असुरों का नाश कर पृथ्वी पर शांति स्थापित की थी। इस दिन को धर्म और अधर्म के बीच विजय का प्रतीक भी माना जाता है।
इतिहासकारों का मानना है कि मकर संक्रांति का उत्सव वैदिक काल से मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक बदलाव और कृषि चक्र का स्वागत करना था। यह त्योहार फसल कटाई के समय मनाया जाता है, जो किसानों के लिए खुशियों का प्रतीक है।
मकर संक्रांति 2025: कब और कैसे मनाई जाएगी?
मकर संक्रांति 2025 की तारीख
मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त
इस दिन शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं।
पुण्य काल: सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक
महा पुण्य काल: सुबह 8:00 बजे से सुबह 10:30 बजे तक
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मकर संक्रांति: परंपराएँ और मान्यताएँ
मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग परंपराओं और नामों से मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य आकर्षण तिल और गुड़ के व्यंजन, गंगा स्नान, दान-पुण्य और पतंग उड़ाना है।
तिल और गुड़ का महत्व
तिल और गुड़ का सेवन मकर संक्रांति पर अनिवार्य माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। तिल शरीर को गर्म रखता है और सर्दियों में ऊर्जा प्रदान करता है।
दान-पुण्य
मकर संक्रांति पर दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, कपड़े और भोजन का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।
पतंग उत्सव
गुजरात, राजस्थान और उत्तर भारत में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है। यह गतिविधि इस त्योहार का मुख्य आकर्षण बन चुकी है। लोग सुबह से ही छतों पर इकट्ठा होकर पतंग उड़ाते हैं और “काई पो चे” के नारे लगाते हैं।
खिचड़ी उत्सव
उत्तर भारत में मकर संक्रांति को “खिचड़ी पर्व” भी कहा जाता है। इस दिन खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित की जाती है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण होता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। यह समय शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए उपयुक्त होता है। मकर संक्रांति से विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल समय शुरू होता है।
मकर संक्रांति का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व रखता है। यह पर्व एकता, भाईचारे और सद्भाव का प्रतीक है। लोग इस दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। तिलगुड़ के साथ प्रेम और मिठास बांटने की परंपरा इस पर्व का मुख्य संदेश है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति 2025 एक ऐसा पर्व है जो हमारे जीवन में सकारात्मकता, नई ऊर्जा और सामाजिक सद्भाव लाने का संदेश देता है। यह दिन हमें धर्म, परंपरा और प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है। तिलगुड़ की मिठास और सूर्य देव की कृपा से यह पर्व आपके जीवन को खुशियों और सफलता से भर दे।