शारदीय नवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। कुल चार नवरात्रि में चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर घर-घर देवी मां विराजमान होती हैं। नवरात्रि का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन कन्या पूजा और मां दुर्गा के नौ स्वरूप की विधि-विधान के साथ पूजा होती है। नवरात्रि के अवसर पर भक्तगण 9 दिनों का उपवास रखते है नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। हम सब जानते हैं नवरात्रि का त्यौहार साफ-सफाई और शुद्धता का त्यौहार है इस वजह से आपको सभी प्रकार के नियमों का पालन करते हुए नवरात्रि व्रत का पालन करना चाहिए। पूरे भारत भर में इस त्यौहार के दिन मेले का आयोजन किया जाता है और 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है नवरात्रि के दसवें दिन दश्हरा का त्यौहार भी मनाते है।
पुराने समय से ही मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में जब देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं तो अलग-अलग वाहन में सवार होकर आती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी के अलग-अलग वाहनों पर आना शुभ-अशुभ दोनों तरह के फल के संकेत होते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि पर माता का आगमन और विदाई दोनों ही हाथी की सवारी पर होगी।
ज्योतिषाचार्य राम मेहर शर्मा के अनुसार जब माता दुर्गा का आगमन पृथ्वी पर हाथी के साथ होता है यह शुभ संकेत माना जाता है। शास्त्रों में हाथी को बुद्धि,ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ऐसे में भक्तो के लिए यह कई तरह के शुभ संकेत और समृद्धि लाने की तरफ इशारा है।
प्रमुख तिथियां
26 सितम्बर 2022, सोमवार : प्रतिपदा (मां शैलपुत्री)
27 सितम्बर 2022, मंगलवार : द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी)
28 सितम्बर 2022, बुधवार : तृतीया (मां चंद्रघंटा)
29 सितम्बर 2022, गुरुवार : चतुर्थी (मां कुष्मांडा)
30 सितम्बर 2022, शुक्रवार : पंचमी (मां स्कंदमाता)
01 अक्टूबर 2022, शनिवार : षष्ठी (मां कात्यायनी)
02 अक्टूबर 2022, रविवार : सप्तमी (मां कालरात्रि)
03 अक्टूबर 2022, सोमवार : अष्टमी (मां महागौरी)
04 अक्टूबर 2022, मंगलवार : नवमी (मां सिद्धिदात्री)
05 अक्टूबर 2022, बुधवार : दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन)
घटस्थापना शुभ मुहूर्त 2022-
सितम्बर 26, 2022 को घटस्थापना मुहूर्त – 06:11 A.M से 07:51A.M
अवधि – 01 घंटा 40 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 11:48 A.M से 12:36 P.M
अवधि – 48 मिनट
इस बार नवरात्रि में देवी की आराधना बहुत ही खास है। नौ में से सात दिन शुभ और कल्याणकारी योग से भरे हुए हैं। इन दिनों में मां की आराधना अति लाभकारी सिद्ध होगी। कलश स्थापन सोमवार को प्रतिपदा तिथि का आरम्भ सूर्योदय से लगभग ढाई घंटे पहले ही हो जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में सूर्योदय होगा। सुबह 07:03 बजे के बाद हस्त नक्षत्र लगेगा। कलश स्थापन के लिये उत्तरा फाल्गुनी और हस्त दोनों ही नक्षत्र अति उत्तम माने गए हैं। इस प्रकार सुबह 06:02 से लेकर दोपहर बाद तक कलश स्थापना शुभकारी होगा।