हमारे धार्मिक ग्रंथों में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया हैं, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहते है। पद्मा एकादशी के दिन व्रत करने और व्रत कथा सुनने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
आषाढ़ माह से निद्रा मगन भगवान विष्णु भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी को करवट बदलते हैं। इसलिए इसे करवटनी एकादशी या परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी को भगवान के वामन अवतार का व्रत एवं पूजन किया जाता है। साथ यह श्री लक्ष्मी को परम आनन्दित करने वाला व्रत हैं। इस दिन दान देने का विशेष महत्व है। इस व्रत में तांबा, चांदी, चावल और दही का दान देना शुभ माना जाता हैं. व्रत पूर्ण करने के पश्चात रात्रि जागरण तथा पद्मा एकादशी कथा सुननी व् कहनी चाहिए।
इस व्रत का इतना महत्व है कि व्रत करने वाले स्त्री पुरुष के सभी पापों का नाश होकर वे सूर्य के समान यश की प्राप्ति करते हैं. व्रत कथा के वाचन से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती हैं. तथा समस्त पापों से छुटकारा पाकर मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
पद्मा एकादशी पूजन विधि :-
एकादशी के एक दिन पहले यानि दशमी तिथि को शाम को सात्विक भोजन ग्रहण करें। फिर एकादशी वाले दिन सूर्योदय से पहले उठे व जल में गंगाजल या तिल मिलाकर नहाए। स्नान आदि से निवृत हो कर स्वच्छ पीले वस्त्र पहने। फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें।एक चौकी पूर्व या उत्तर दिशा में रखें फिर उस पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी एवं श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद कलश की स्थापना करें।
फिर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें उन पर पूजन सामग्री दूर्वा मोदक फल , फूल वस्त्र आदि चढ़ाएं। फिर दाएं हाथ में गंगाजल फूल लेकर के व्रत का संकल्प लें व अपनी मनोकामना कहें।फिर भगवान विष्णु का व माता लक्ष्मी का पंचामृत स्नान कराएं। हल्दी केसर जनेऊ अर्पित करें मेवा मिठाई फल फूल कमल पुष्प अवश्य चढ़ाएं और फिर धूप घी का दीपक जलाएं। याद रखे की एकादशी के दिन न चावल खाया जाता है ना पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाता है।इसके बाद एकादशी व्रत कथा सुने हाथ में तिल फूल लेकर। कथा सुनने के बाद फूल व तिल को वहीं भगवान के सामने चढ़ा दें । इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें व भगवान की आरती करें । ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करे। पूजा आरती समाप्त होने के बाद भगवान से पूजा में हुई गलतियों की क्षमा मांगे।
एकादशी में रात भर सोया नहीं जाता है इस दिन रात भर भगवान का भजन कीर्तन किया जाता है। भगवान को चढ़ाए हुए प्रसाद को गरीबों में बांटे।
सुबह होने पर भगवान की फिर से पूजा अर्चना करें वह द्वादशी तिथि में पारण करें।
तिथि एवं शुभ मुहूर्त
पद्मा एकादशी का व्रत 6 सितम्बर 2022 के दिन किया जाएगा। पद्मा एकादशी पर इस बार बेहद खास संयोग बन रहा है। इस दिन बन रहे 4 योग एकादशी के महत्व में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। पद्मा एकादशी पर आयुष्मान, रवि, त्रिपुष्कर, सौभाग्य योग बन रहा है. इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हर कार्य में सिद्धि मिलती है।
• आयुष्मान योग – 5 सितंबर 2022, 11:28 AM – 6 सितंबर 2022, 08:16 AM
• सौभाग्य योग – 6 सितंबर 2022, 08:16 AM – 7 सितंबर 2022, 04:50 AM
• रवि योग – 06:08 AM- 06:09 PM (6 सितंबर 2022)
• त्रिपुष्कर योग – 03:04 AM – 06:09 AM (7 सितंबर 2022)
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