भादो माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषि की पूजा की जाती है। इस दिन सात ऋषि जिनके नाम है – मुनि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वमित्र, अत्रि, जमदग्नि, अग्नि, गौतम, और भारद्वाज की पूजा की जाती है। इन्होंने समाज कल्याण के लिए काम किया था. इसलिए उनके सम्मान में यह व्रत और पूजन करते हैं।
धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में कई ऐसे त्यौहार हैं, जो सिर्फ महिलाएं ही रखती हैं। इन्हीं त्यौहारों में एक है ऋषि पंचमी इस त्यौहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिलाओं से अनजाने में हुए भूल की क्षमा याचना के लिए हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। प्राचीन प्रथा के अनुसार , महिलाओं को रजस्वला दोष लगता है, इसलिए कहते हैं कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को स्त्री जीवन में किए गए पापों की निवृति के लिए करते हैं। मान्यता है कि जो महिला ऋषि पंचमी का व्रत रख कर विधि विधान से पूजा करती है, उसके जीवन के सभी दुःख नष्ट हो जाते हैं और उसे अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।
विधि
पंचमी तिथि को सुबह जल्दी उठकर इस व्रत को विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है. इस व्रत को रखने वाली महिलाएं सुबह सूर्योदय के समय स्नान कर नए वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा घर में आसन लगाकर बैठ जाएं। इसके बाद पूजा की चौकी तैयार करें जिसमे हल्दी, कुमकुम से चौकोर मंडल बनाकर सप्तऋषियों की स्थापना करें। इसके बाद गंगाजल छिड़कर चंदन लगाए साथ ही फूल माला अर्पित करें। इसके बाद इन्हें मिठाई व फल का भोग लगाएं। साथ ही धूप जलाकर इस व्रत की कथा का पाठ करें और अरुंधती सहित सप्तऋषियों का पूजन कर आचार्य को दक्षिणा दे तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
तिथि और शुभ समय
पंचमी तिथि का सूर्योदय गुरुवार, 01 सितंबर 2022 को होगा, इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाया जाएगा। इस दिन स्वाती नक्षत्र दिन भर रहेगा। गुरुवार को स्वाती नक्षत्र होने से स्थिर नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। साथ ही ब्रह्म योग भी इस दिन रहेगा।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ: 31 अगस्त 2022 अपराह्न 03:22 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 01 सितंबर 2022 दोपहर 02:49 बजे