श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। श्री कृष्ण के जन्म लेने के बाद पाप और अंधकार का नाश हुआ। संसार में पाप का विनाश हुआ और प्रेम और भक्ति का पुनः जागरण हुआ। श्रीकृष्ण अपनी बाल लीलाओं और श्रेष्ठ जीवन चरित के लिए युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। श्रीकृष्ण के जन्म दिन को ही जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही उत्साहवर्धक और पावन पर्व है। अब जन्माष्टमी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है क्योंकि भगवन श्री कृष्णा के उपसाक केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है।
कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह ( भादो महिना ) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवन श्री कृष्ण का अवतार कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री वासुदेव और देवकी के यहाँ हुआ था। शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि को रोहणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण मथुरा में कंस के कारागार में प्रकट हुये थे। इस दिन चंद्रमा वृष राशि में तथा सूर्य सिंह राशि में था। कभी कभी अष्टमी तिथि और रोहिणी तिथि का दिन अलग-अलग होता है। यही कारण है की जिस वर्ष अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र की तिथि अलग अलग होती है, उस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी २ दिनों तक मनाया जाता है।
कृष्णा एक ऐसा शब्द है जिसके नाम मात्र से ही हमारे पाप मिट जाते है, कष्ट समाप्त हो जाते है. ऐसे परमज्ञानी, परमदयालु परमात्मा के धरती में प्रकट होने का प्रकटोत्सव भारत के साथ-साथ विश्वभर में भारतवंशीयों, भारतीय प्रवासियों और भारतीय सनातन धर्म से प्रभावित विदेशी मूल के लोगों के द्वारा मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी के पर्व पर झाकियों के रूप में श्रीकृष्ण का मोहक अवतार देखने को मिलते है। जन्माष्टमी के दिन मंदिर में श्री कृष्णा के जीवन लीलाओ की झांकियां सजाई जाती हैं, भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाया जाता है, रासलीला का आयोजन होता है। भारत में कई शहरो में दही की मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता होती है। कई बड़े मंदिरों में प्रसाद वितरण और भोज आदि का आयोजन किया जाता है। इस दिन व्रत उपवास रखने का भी महत्व होता है। इस व्रत को सभी व्रतों का राजा भी कहा जाता है। इस एक व्रत को रखने से कई व्रतों के फल की प्राप्ति हो जाती है।
इस साल 2022 में कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त 2022 के दिन मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
अष्टमी प्रारंभ तिथि – 18 अगस्त 2022, रात 09 बजकर 21 मिनट से
अष्टमी समापन तिथि – 19 अगस्त 2022, रात 10 बजकर 59 मिनट तक