आजकल बच्चों के एक्सीडेंट के अनेक मामले आ रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बारह वर्ष तक बच्चों की विशेष सुरक्षा मातृकादि पूजन तथा अन्य उपायों से अवश्य करनी चाहिए।
बच्चों को बाल ग्रह पीडित करते हैं। बालग्रहों का वर्णन हमारे ग्रंथों में मिलता है ये संख्या में नौ हैं —
स्कन्दग्रहस्तु प्रथमं स्कन्दापस्मार एव च । शकुनी रेवती चैव पूतना गन्धपूतना ॥
पूतना शीतपूर्व्वा च तथैव मुखमण्डिका । नवमो नैगमेयश्च प्रोक्ता बालग्रहा अमी ॥
भगवान् श्रीकृष्ण पर भी पूतना आदि बालग्रहों ने प्रहार किया था।
इनसे सुरक्षा के निम्न उपाय करें –
- बालक को कभी भी अकेला न छोड़े। क्योंकि-
- अकेला होने पर ये बालक पर हमला कर देते हैं।
- अकेला सोए हुए को ये पलंग से गिरा सकते हैं।
- दीवार/गड्ढे के बीच में बच्चा फंस सकता है।
- उसका किसी कपडें से दम घुट सकता है।
- बच्चे से पीठ फेरकर मां कभी न सोए। उसे अपने साथ ही दूसरी तरफ बदल ले।
- बाहर अकेले न जाने दें।
- बच्चों को हाथों से आसमान में या सिर से ऊपर न उठाएं।
- बच्चा जिस पलंग पर सोया हो तो उसके सिरहाने न बैंठें/ न किसी को बैठने दें।
- बजरंगबली के दांये पांव का सिंदूर उसे लगाएं/यज्ञ भस्म/पीली सरसों की पोटली उसके गले या चारपाई के सिरहाने अवश्य बांधें।
- उसके वस्त्रों को साफ रखें।
- गूगल धूप कमरे में सप्ताह में अवश्य दें।
- शनिवार/मंगलवार/सोमवार को मातृका पूजन करें तथा उसके ऊपर से गुड़ सात बार एंटी क्लोकवाईज घुमाकर शनिवार को कुत्ते को दें तथा मंगल/सोमवार को गाय को दें।
- सतनजा भी घुमाकर शनिवार को मछलियों को डाल सकते हैं।
यदि यह उपाय करेंगे तो बच्चे सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि बालग्रह अचानक तथा त्वरित फल देते हैं। ऐसा ही कहते रह जाते हैं कि अभी तो ठीक था अचानक हो गया। अतः सुरक्षित रहें।