गणेश को हेरम्बा, एकदंत, गणपति, विनायक, विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और पिल्लैयार नामों से भी जाना जाता है। भगवान गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। किसी भी शुभ काम या पूजा की शुरुआत इनकी अराधना से की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से शुरू किया गया काम बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाता है।
गणेश चतुर्थी / गणेश पूजा देश में व्यापक रूप से मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है। भारत में लोग गणेश चतुर्थी को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। इस साल यह 10 सितंबर को मनाया जाएगा इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
पूजन विधि
बहुत सारे लोग इस त्योहार के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर लाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन उनकी स्थापना करके इनकी पूजा करें।गणेश जी को पूजन करते समय पुष्प, सिंदूर, जनेऊ, दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें। भगवान गणेश को सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है जो व्यक्ति इनकी सच्चे मन से पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।
गणेश विसर्जन
अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश को विदाई दी जाती है। इस उत्सव का समापन 19 सितंबर को होगा। विदाई या गणेश विसर्जन, त्योहार की भव्य परिणति है। यह वह उत्सव है जिसमें भगवान की स्थापित मूर्तियों को एक जल निकाय में विसर्जित किया जाता है। विसर्जन निकटतम तालाब, झील, नदी या समुद्र में किया जा सकता है। जिन लोगों के पास एक बड़े जल निकाय तक पहुंच नहीं है, वे भी घर में एक छोटे बर्तन या पानी के बैरल में मूर्ति को डुबो कर प्रतीकात्मक विसर्जन कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी तिथियां , पूजन का शुभ मुहूर्त-
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहर्त शुक्रवार, 10 सितंबर 2021 को दोपहर 12:17 बजे शुरू होकर और रात 10 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहुर्त मध्याह्र काल में 11:03 से 13:33 तक है यानि 2 घंटे 30 मिनट तक है।
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